Pregnancy Week by Week in Hindi: प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे का विकास कई चरणों में पूरा होता है। यह विकास Fertilization से शुरू हो कर गर्भ की अंतिम सप्ताह तक होता रहता है। प्रेग्नेंसी 9 महीने यानी 38 से 40 सप्ताह तक चलता है।

 बच्चे का जन्म 38 वें हफ्ते में भी हो तो ज़्यादा मुश्किल नही होती है। इन 40 हफ्ते के इस लम्बे समय में बच्चे का विकास एक चरणबद्ध तरीके से संपन्न होता है। इस लेख में बच्चों के होने वाले विकास को सप्ताह दर सप्ताह समझेंगे।

तो आइये जानते है गर्भावस्था टिप्स सप्ताह दर सप्ताह Pregnancy Tips Week by Week in Hindi

Table of Contents

प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे का विकास सप्ताह दर सप्ताह – Pregnancy Week by Week in Hindi

पहला सप्ताह (First week)

पहले सप्ताह में जो स्थिति होती है उस स्थिति को प्रेगनेंसी नही कहते हैं। लेकिन हां, पहले हफ्ते में प्रेगनेंसी  के लिए ज़रूरी एग्स और स्पर्म  सम्पर्क में आ कर आगे की क्रिया के लिए तैयार हो जाते हैं।

दूसरा सप्ताह (second week)

दूसरे सप्ताह के आंरभ मे ही अण्डोत्सर्ग होता है तथा 12 से 24 घण्टे के अंदर-अंदर स्पर्म के संपर्क में आ कर निषेचित हो जाता है और यहीं से एक बच्चे के बनने की जटिल प्रक्रिया की शुरुआत हो जाती है। निषेचन होने के बाद अगर सब कुछ सामान्य रहता है तो अगले कुछ दिनों में यह निषेचित एग्स विभाजित होने लगता है तथा यह Fallopian tube से होते हुए Utrus में पहुंच जाता है जहां इसका आगे का विकास आरंभ होने लगता है।

तीसरा सप्ताह (third week)

तीसरे सप्ताह में निषेचित भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट (Blastocyst) में बदल जाता है और शरीर में hCG नामक प्रेगनेंसी हार्मोन बनने लगता है साथ ही ओवरी से अंडे का बनना भी बंद हो जाता है।

चौथा सप्ताह (Fourth week)

निषेचित एग्स जो की गेंदनुमा होता है, चौथे सप्ताह में आधिकारिक रूप से भ्रूण यानी एम्ब्रियो (Ambrio) में बदल जाता है। यही समय होता है जब पहली बार पीरियड भी मिस होने लगते है और तब प्रेगनेंसी हार्मोन यानी hCG का बनना भी तेज़ हो जाता है तो अगर इस समय प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy test) किया जाए तो वह पॉजिटिव आता है।

पाचवां सप्ताह (Fifth week)

Fifth week Pregnancy Week by Week in Hindi : इस समय भ्रूण का आकार मेढक के लार्वा के आकार का हो जाता है लेकिन इस समय इसका विकास तेज़ी से होता है। इसी समय उस लार्वा के आकार के भ्रूण में रक्त तंत्रिकाएं भी बनने लगती है तथा काफी छोटे आकार मे स्थित ह्रदय की गती भी शुरू हो जाती है। इस समय भ्रूण का आकार एक तिल के बराबर होता है।

छठा सप्ताह (Sixth week)

इस सप्ताह में बच्चे का मुंह और कान अपना आकार लेना शुरू कर देता हैं तथा आंत और मस्तिष्क का बनना भी शुरू हो जाता है। इस समय भ्रूण का आकार एक दाल के बराबर हो जाता है।

सातवां सप्ताह (Seventh week)

सातवें सफ्ताह में बच्चे का आकार छठे सप्ताह की तुलना में दोगुणा हो जाता है लेकिन बच्चे में पूंछ (tail) अब भी बाकी रहता है जो की कुछ समय बाद अलग हो जाता है।

आठवा सप्ताह (Week eight)

आठवें सप्ताह में भ्रूण में मूवमेंट आरंभ हो जाता है लेकिन इस स्थिति में मूवमेंट महिला को महसूस नही हो पाती है। इस समय बच्चे की तंत्रिकाएं विकास की ओर अग्रसर हो जाती है साथ ही सांस नली भी बन रहे फेफड़े की तरफ बढ़ने लगती है।

नौवां सप्ताह (Ninth week)

इस समय तक भ्रूण से पूँछ अलग हो जाता है और इस समय बच्चे का वज़न 20 से 30 ग्राम के बीच होता है।

दसवां सप्ताह (Tenth week)

Tenth week pregnancy symptoms week by week in hindi : इस समय तक भ्रूण के अधिक्तर ज़रूरी अंग बन कर तैयार हो जाते हैं जो आगे विकास करते है। त्वचा इस समय तक पारदर्शी ही होता है, नाखून भी बनने शुरू हो जाते हैं।

ग्यारहवाँ सप्ताह (Eleventh week)

भ्रूण में अब लगभग ज़रूरी अंगों का निर्माण हो चुका होता है साथ ही बच्चे में मूवमेंट भी बढ़ जाती हैं।

बारहवां सप्ताह (Twelfth week)

इस समय बच्चा अपने पैर चलाना शुरू कर देता है साथ ही हाथ की उँगलियां भी खुलने और बन्द होने लगती है। बच्चा मुंह भी खोलने और बन्द करने लगता है।

तेरहवां सप्ताह (Thirteenth week)

यह पहले प्रेग्नेंसी चक्र का अंतिम सप्ताह होता है। इस समय तक बच्चे के फिनगरप्रिंट्स बन जाते हैं और अगर गर्भ में लड़की हो तो उसकी ओवरी भी बन जाती हैं।

चौदहवां सप्ताह (Fourteenth week)

इस समय तक गर्भपात की आशंका कम हो जाती है। इस समय तक महिलाओं में भी दिखने वाले लक्षण भी खत्म होने लगते हैं। अब बच्चे के मस्तिष्क के इम्पल्स चलने लगते हैं तथा बच्चा चेहरे की मांशपेशियों का भी उपयोग करने लगता है। किडनी भी काम करना शुरू कर देती है।

पन्द्रहवां सप्ताह (Fifteenth week)

Pregnancy Calculator Week by Week in Hindi : बच्चे का आँख अब तक नही खुलता है लेकिन सोलहवें सप्ताह तक भ्रूण का विकास इस हद तक हो जाता है की अल्ट्रासाउंड की मदद से बच्चे के लिंग का पता लगाया जा सकता है।

सोलहवां सप्ताह (Sixteenth week)

बच्चे की खोपड़ी का आकर इस समय बनने लगता है लेकिन बाल अब तक नही आते हैं। पैरों का विकास भी तेज़ी से होता है। कान का विकास अंतिम चरण में होता है।

सत्रहवां सप्ताह (Seventeenth week)

इस अवस्था में बच्चे के जॉइंट्स में मूवमेंट होने लगती है तथा शरीर के बाकी कंकाल का भी निर्मान शुरु हो जाता है, तभी हड्डियों की कठोरता भी बढ़ने लगती है। गर्भनाल का विकास भी तेज़ी से होने लगता है।

अठारहवाँ सप्ताह (Eighteenth week)

बच्चे के हाथ और पैर में होने वाले मूवमेंट तेज़ हो जाते हैं तथा महिलाएं इस मूवमेंट को अब महसूस भी कर सकती हैं। इसी समय नर्व के सुरक्षा कवच जिसे माइलिन कहते हैं उसका भी निर्माण होने लगता है।

उन्नीसवाँ सप्ताह (Nineteenth week)

बच्चे में इस समय इन्द्रियों जैसे की सुगंध , दृष्टि, स्पर्श, स्वाद और सुनने की क्षमता का विकास आरंभ हो जाता है। इस समय बच्चे में बाहरी आवाज़ को सुनने की भी क्षमता आ जाती है।

बीसवां सप्ताह (Twentieth week)

Pregnancy Tips Week by Week in Hindi: निगलने की क्षमता आ जाती है और पाचन तन्त्र इसी समय मल (मिकोनियम) भी बनाने लगता है ।

इक्कीसवां सप्ताह (Twenty first week)

बच्चे के मूवमेंट में तेज़ी आती है और इस मूवमेंट को महिला आसानी से महसूस करने लगती है।

बाइसवां सप्ताह (twenty-two week)

इस समय तक होठ और Eyebrow बन चुके होते है। आँखें भी बन चुके होते है लेकिन आँखों का रंग तय नही हुआ होता है।

तेइसवां सप्ताह (Twenty-third week)

सुनने की शक्ति इस समय तक और बेहतर हो जाती है। जन्म के बाद वह इन आवाज़ों को पहचान सकता है जो गर्भ के तेइसवां सप्ताह से लेकर उसके बाद सुना हो।

चौबीसवाँ सप्ताह (Twenty-fourth week)

इस समय तक बच्चे की लंबाई एक भुट्टे जितनी हो जाती है । त्वचा इस समय भी पतली और पारदर्शी ही रहता है।

पच्चीसवां सप्ताह (Twenty fifth week)

बच्चे में फैट का बनना शुरू हो जाता है जिस कारण त्वचा की झुर्रियां भी खत्म होने लगती है। इसी समय बाल आने शुरू हो जाते हैं।

छब्बीसवां सप्ताह (Twenty sixth week)

बच्चा इस समय तक एमनियोटिक फ्लूइड (Amniotic fluid) को लेने और छोड़ने लगता है जो की फेफड़े के विकास में मदद करता है। इसी से बच्चे को जन्म के बाद पहली बार सांस लेने में मदद मिलती है।

सताइस वां सप्ताह (Twenty seventh week)

गर्भ के दूसरे चक्र का यह अंतिम सप्ताह होता है। इसमें बच्चे को गर्भ में ही एक नियमित समय पर सोने और उठने की आदत विकसित हो जाती है।

अठाइसवां सप्ताह (Twenty eight week)

अब बच्चे की आँख में देखने की शक्ति का विकास होने लगता हैं तथा पलके भी झपकने लगती है।

उन्तीसवाँ सप्ताह (Twenty ninth week)

बच्चे का फेफड़ा बाहरी वातावरण में रहने के लायक बनने लगता है साथ ही सिर में भी विकास होने लगता है ताकि मस्तिष्क का विकास ठीक ढंग से हो सके।

तीसवां सप्ताह (Thirtieth week)

Pregnancy Week by Week in Hindi : गर्भ में इस समय तक बच्चे के मूवमेंट में तेज़ी आ जाती है इसलिए सुरक्षा दृष्टि से बच्चे के चारो ओर एक प्रकार के द्रव का घेरा तैयार हो जाता है।

इकत्तीस वां सप्ताह (Thirty one week)

बच्चा अपना सर इधर उधर घुमा सकता है साथ ही फैट भी बच्चे के त्वचा की भीतर जमा जो जाता है।

बत्तीसवां सप्ताह (Thirty second week)

इस समय महिला का वज़न प्रत्येक सप्ताह लगभग 500 ग्राम बढ़ने लगता है। इसके आधे अनुपात में बच्चे का भी वज़न बढ़ने लगता है।

तेतीसवां सप्ताह (Thirty third week)

तेतीस सप्ताह तक भी बच्चे के हड्डी और खोपड़ी ठीक ढंग से नही जुड़े होते हैं, जो की जन्म के बाद ही कुछ साल बाद पूरी तरह जुड़ता है। तेतिसवें सप्ताह में बच्चे का सिर बर्थ कैनाल की तरफ मुड़ने लगता है।

चौतीसवां सप्ताह (Twenty fourth week)

बच्चे का नर्वस सिस्टम और फेफड़े परिपक्व हो रहा होता है। समान्यतः 34 वें हफ्ते से लेकर 38वें हफ्ते के बीच जन्म लेने वाले बच्चे भी किसी दिक्कत के शिकार हो जाते है अगर किसी अन्य प्रकार की समस्या न हो तो।

पैंतीस वां सप्ताह (Thirty fifth week)

इस समय बच्चे की किडनी पूरी तरह से विकसित हो जाती है तथा लिवर भी कुछ अपशिष्ट पदार्थ बनाने लगता है।

छत्तीसवां सप्ताह (Twenty six weeks)

इस समय बच्चे का वजन प्रत्येक दिन लगभग 25 से 30 ग्राम बढ़ता है। इस समय बच्चे की त्वचा एक विशेष प्रकार के चिपचिपे पदार्थ से घिर जाती है जो की सुरक्षा की दृष्टि से होता है ।

सैंतीसवां सप्ताह (Thirty-seven week)

इस समय बच्चे का जन्म हो जाए तो भी दिक्कत अधिक नही है लेकिन अब तक बच्चे का मस्तिष्क और फेफड़ा पूरी तरह से परिपक्व नही होता है।

अड़तीस वाँ सप्ताह (Thirty eight week)

बच्चे की आँख का रंग अब तक तय नही हुआ होता है। अगर इस समय बच्चे का जन्म हो जाये तो, जो रंग आँख का होगा वह कुछ दिनों बाद बदल भी सकता है।

उनतालीस वां सप्ताह (Thirty ninth week)

अब बच्चे का शारीरिक विकास गर्भ में पूरी तरह से हो चुका होता है लेकिन शरीर का तापमान बाहरी वातावरण में नियंत्रित करना पर सकता है। इस समय तक जन्म सामान्य है।

चालीसवाँ सप्ताह (fortieth week)

Pregnancy symptoms week by week in hindi : अगर बच्चे का जन्म अब तक नही हुआ है और प्रसव पीड़ा नही हो रहा हो  तो यह असामान्य हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

और पढ़ें :- गर्भावस्था से जुडी हुई है ये महत्वपूर्ण बातें – Information About Pregnancy In Hindi

प्रेगनेंसी में केसर के फायदे – Pregnancy me Kesar ka use in hindi

Pregnancy Me Kesar Ka Use In Hindi

Pregnancy  के दौरान सेहत का खास ख्याल रखना काफी ज़रूरी होता है। इसलिए इस दौरान संतुलित आहार का चुनाव करना और फलों और सब्जियों का सेवन करना बहुत ही ज़रूरी हो जाता  है।

इसके अतिरिक्त डॉक्टरों द्वारा केसर के सेवन की विशेष सलाह दि जाती है। क्योंकि केसर प्रेगनेंसी के दौरान शरीर और बच्चे के लिए काफी अच्छा रहता है। 

केसर काफी लाभकारी है और जड़ी बूटी की श्रेणी में भी आता है फिर भी केसर के सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए। कभी कभी अधिक मात्रा में केसर का सेवन माँ और बच्चे दोनो पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। एक बार डॉक्टर से इजाज़त मिलने के बाद बताए गए मात्रा में केसर का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। केसर के फायदे निम्नलिखित होते हैं।

तो आइये जानते है प्रेगनेंसी में केसर के फायदे इन हिंदी – Benefits of saffron in pregnancy in Hindi

  • प्रेगनेंसी के दिनों में स्वभाव में बदलाव आम बात है ऐसे में कुछ महिलाएं डिप्रेशन में भी चली जाती हैं इस स्थिति में केसर का उपयोग लाभकारी होता है क्योंकि केसर एंटी डिप्रेशेंट का काम करता है और यह मूड को भी ठीक करता है।

  • केसर में क्रोसेटीन और पोटेशियम पाया जाता है जो की उच्य रक्तचाप को भी कम करने में मदद करता है। प्रेगनेंसी के दिनों में रक्तचाप बढ़ने की समस्या होती रहती है, ऐसे में इसका उपयोग लाभदायक साबित हो सकता है।

  • केसर प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले सुबह की बीमारी (Morning sickness) से भी आराम पहुंचाता है।

  • गर्भावस्था के दौरान कब्ज और पाचन की समस्या आम बात हो जाती है क्योंकि  बच्चे के कारण पाचन तन्त्र पर दबाव बढ़ने लगता है। इस स्थिति में केसर बहुत लाभकारी होता है क्योंकि केसर के उपयोग से रक्त प्रवाह में तेज़ी आती है और इन सभी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।

  • गर्भावस्था के दौरान जैसे जैसे बच्चे का विकास होता है वैसे ही महिला के अंगो में दर्द भी होने लगता है तब केसर का उपयोग लाभकारी हो सकता है।

  • इसके अलावा प्रेगनेंसी में केसर खाने के फायदे है कि यह  ह्रदय रोग से भी बचाता है तथा आयरन की मात्रा को भी सामान्य रखता है, प्रेग्नेंसी के दौरान बालों के गिरने की समस्या से भी बचाता है।

गर्भपात के दुष्प्रभाव – 1 month pregnancy abortion side effects in Hindi

प्रेगनेंसी के पहले महीने में महिलाओं को कई प्रकार की समस्या होती है। कभी कभी पहले महीने में ही गर्भपात भी हो जाता है। गर्भ के पहले महीने में गर्भपात के कई कारण हो सकते है। पहले जाने की गर्भपात क्या है।

गर्भपात क्या है? – What is abortion in hindi

गर्भ ठहरने के 20 सप्ताह के अंदर-अंदर ही भ्रूण का समाप्त हो जाना ही गर्भपात होता है। एक आंकड़ें के अनुसार प्रेगनेंसी के 50% मामले गर्भपात के कारण समाप्त हो जाते हैं, जिसमें से अधिकतर पहले ही महीने में हो जाते है। कई गर्भपात महिला के ये जानने के पहले ही खत्म हो जाता है की वह प्रेग्नेंट हैं। 15 से 25% गर्भपात, प्रेग्नेंसी की जानकारी के बाद होते हैं।

गर्भपात के कारण – garbhpat ke karan in hindi

  • इंफेक्शन

  • थायराइड या डायबिटीज की समस्या

  • हार्मोन्स की समस्या

  • इम्यून सिस्टम के कारण

  • महिलाओं में होने वाले कुछ शारीरिक समस्याएं

  • uterus की समस्या

जिन महिलाओं को पहले तीन बार गर्भपात हो चुका हो उसे फिर से गर्भपात होने की संभावना अधिक होती है। 35 साल से अधिक उम्र में भी गर्भपात की समस्या हो सकती है।

गर्भपात के लक्षण – garbhpat ke lakshan in hindi

  • रक्तस्राव का धीरे धीरे बढ़ जाना

  • अत्यधिक क्रैम्प

  • पेट में अधिक दर्द

  • बुख़ार आना

  • कमज़ोरी

  • बैक पेन की समस्या

और पढ़ें :- यौन शिक्षा और यौन स्वास्थ्य

Neerfit

Neerfit ही NeerFit.com के लेखक और सह-संस्थापक हैं। उन्होंने रोहतक (एचआर) से कला स्नातक में स्नातक भी पूरा किया है। वह स्वास्थ्य, फिटनेस,  और bollywood movies के प्रति जुनूनी है।

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