Surya Namaskar in Hindi
Surya Namaskar न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखने में कामयाब है बल्कि, यह दिमाग को फिट रखने में भी मददगार है। सूर्य नमस्कार सभी योगासनों में से सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि यह एक साथ 12 योगासनों का फायदा देता है।
सूर्य नमस्कार का मतलब है (Sun Salutation) यानि सूर्य को नमन करना। यह तन और मन दोनों को तंदुरुस्त रखता है। यदि आपके पास समय की तंगी है और आप स्वस्थ और तंदुरुस्त रहना चाहते है, तो सूर्य नमस्कार सबसे अच्छा तरीका है।
आमतौर पर सूर्य नमस्कार खुली व ताजी हवा में और खाली पेट किया जाता है। लेकिन आप इसे घर की छत्त पर भी कर सकते है। बस ध्यान में रखें की इसे धीरे-धीरे करें और अनावश्यक जोर न लगाएं।
Table of Contents
Toggleसूर्य नमस्कार क्या होता है ? (What is Surya Namaskar in Hindi)
सूर्य नमस्कार शब्द का अर्थ होता है अर्पण करना या नमस्कार करना । योगासन शरीर को स्वस्थ और तन-मन को तंदुरस्त रखने का अच्छा तरीका है।
Surya Namaskar 12 आसनो का एक मेल-मिलाप होता है, जिसे कार्डियो-वैस्कुलर व्यायाम (Cardio-vascular exercise) भी कहा जाता है। यह शरीर को एक हैल्थी लाइफ जीने के लिए प्रेरित करता है।
योगासन के अभ्यास से शरीर निरोगी और सुंदर व आकर्षक बनता है। इस योगासन में 12 आसन करने होते हैं। जिसमें कमर को आगे-पीछे करते हुए स्ट्रेच करना पड़ता है।
इन आसनो के अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन का संचार और रक्त का संचार अच्छे से होता है। सूर्य नमस्कार के द्वारा निरोगी शरीर अथवा ब्लड प्रेशर नॉर्मल रहता है।
सूर्य नमस्कार कब और कैसे करें ?
अक्सर लोगो को देखा गया है कि उन्हें सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका और सही समय नहीं पता होता है। वह किसी भी समय सूर्य नमस्कार करने लग जाते है, जोकि गलत होता है।
इसका सही तरीका और सही समय जानने के लिए नीचे दिए हुए लेख को पढ़ें।
सूर्य नमस्कार कब करें ?
सूर्य नमस्कार करने के लिए सबसे पहले सुबह 6:00 से 7:00 बजे के बीच उठना चाहिए। उठने के बाद, एक गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए और फिर आधे घंटे के बाद सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए।
इस बात का ध्यान रखें की सूर्य नमस्कार करने से पहले हमेशा पेट को खली रखें। इस आसन को ज्यादा बेनिफिशियल बनाने के लिए योग मेट का इस्तेमाल करे।
सूर्य नमस्कार कैसे करें?
सूर्य नमस्कार 12 आसनों के लिए किया जाने वाला एक आसन है। इसमें बॉडी मूवमेंट करके और कमर को आगे-पीछे करके स्ट्रेचिंग की जाती है। यह तन और मन दोनों के लिए लाभकारी है।
आइये जानते है सूर्य नमस्कार करने की विधि
- प्रणाम मुद्रा (Prayer pose)
- हस्त उत्तानासन (Raised Arms Pose)
- पादहस्तासन (Padahastasana)
- अश्व संचालन आसन (Ashwa Sanchalanasana)
- पर्वतासन (Mountain pose)
- अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara)
- भुजंगासन (Cobra pose)
- पर्वतासन (Parvatasana)
- अश्व संचालन आसन (Equestrian pose)
- हस्तासन (Hand to Foot pose)
- हस्त उत्तानासन (Raised Arms pose)
- प्रणाम मुद्रा (Prayer pose)
1. प्रणाम मुद्रा (Prayer pose)
Surya Namaskar की शुरुआत एक प्रारंभिक मुद्रा से की जाती है। इसमें सूर्य की तरफ चेहरा करके नमस्कार करना होता है। इस मुद्रा को सही से करने के लिए स्थिर बॉडी बनाने की आवश्यकता होती है।
इस मुद्रा को बनाये रखने के लिए पीठ को बिलकुल सीधा रखकर, सामने की तरफ देखना होता है। ध्यान में रखें कि दोनों हाथो की हथेलियों को आपस में मिलाकर रखना है और अंत में कोहनियो को बिल्कुल सीधा रखें।
2. हस्त उत्तानासन (Raised Arms Pose)
दूसरी अवस्था के आसान को करने के लिए सांस को अंदर लेकर भुजाओं को कानों के पास से लेते हुए ऊपर की ओर स्ट्रेच करना होता है। जब आप ऊपर की ओर स्ट्रेच करते है, तो साथ ही में हाथो को और गर्दन को पीछे की ओर झुकाना है जैसा की ऊपर इमेज में दर्शाया गया है।
इस आसन का निरंतर अभ्यास करने से हृदय का स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा पुरे शरीर में ऑक्सीजन का संचार और रक्त का संचार अच्छे से होता है।
3. पादहस्तासन (Padahastasana)
तीसरी अवस्था के आसन यानि पादहस्तासन को करने के लिए सबसे पहले सीधा खड़ा होकर इस अवस्था को बनाए रखना है। धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए नीचे की ओर झुकना है। जब आप नीचे की ओर झुकेंगे,तो पैरों को बिलकुल सीधा रखने के कोशिश करें।
नीचे झुकने के बाद, अपने हाथों से अपनी एड़ियों को पकड़ें। ध्यान रखें कि सिर को घुटनों पर लगाना है।
4. अश्व संचालन आसन (Ashwa Sanchalanasana)
चौथी अवस्था का आसन करने के लिए, दाहिने पैर को पीछे की ओर फैलाएं, हाथों को जमीन पर टिकाकर सांस लें। छाती और गर्दन को स्ट्रेच करते हुए ऊपर उठाये। इस बात पर गौर किया जाये की बॉडी पोस्चर को मेन्टेन करके रखें।
ध्यान में रखें की पीठ को सीधा रखें और फुल बॉडी स्ट्रेच महसूस करें।
5. पर्वतासन (Mountain pose)
पांचवी अवस्था का आसन करने के लिए सबसे पहले एक पुशअप्स की भांति पोजीशन को बनाये। धीरे से ऊपर की ओर उठते हुए हाथो को सीधा करें। ध्यान रखें की दोनों पैरों की एड़ियां आपस में मिली हों और साथ ही शरीर का वजन पैरो के उंगलियों और हाथो पर रहे।
इस बात पर गौर करिये की एक स्ट्रैट बॉडी को बनाये और सांस को धीरे से अंदर बहार लें।
6. अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara)
छठी अवस्था का आसन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर लेट जाएँ। जमीन पर लेटने के बाद दोनों हाथो को पीछे के तरफ रखकर ठोड़ी (Chin) जमीन पर लगाएं, जैसा की ऊपर इमेज दर्शाया गया है।
ध्यान रखें की पैरों की उँगलियाँ और घुटने जमीन पर लगे हो।
7. भुजंगासन (Cobra pose)
सांतवी अवस्था का आसन करने के लिए दोनों हाथो को को जमीन पर लगाकर उठने की कोशिश करें जैसा की ऊपर इमेज में दर्शाया गया है। साँस को लेते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधा कीजिए।
गर्दन और छाती को पूरा स्ट्रेच करें। पैरों के पंजे और ताकी घुटने जमीन को छूते हुए आसन को परफॉर्म करें।
8. पर्वतासन (Parvatasana)
आठंवी अवस्था के आसान को करने के लिए हाथो और पैरो को जमीन पर लगाकर रखें। इस बात पर गौर करिये की दोनों पैरों की एड़ियां जमीन से मिल रही हो। धीरे-धीरे साँस को बाहर छोड़ते हुए कूल्हे (Butts) को ऊपर उठायें।
ध्यान रखें की हाथो को सर के साइड में न रखते हुए आगे की तरफ रखें जैसा की ऊपर इमेज में दिखाया गया है।
9. अश्व संचालन आसन (Equestrian pose)
नौवीं अवस्था के आसान को करने के लिए चौथी स्थिति जैसी अवस्था को बनाएं। साँस को सीने में भरते हुए ऊपर की ओर स्ट्रेच करें। बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं, गर्दन और छाती को ऊपर की ओर स्ट्रेच करें, जैसा की ऊपर इमेज में बताया गया है।
ध्यान रखें कि बायां पैर पूरी तरह से सीधा रहे और उसमे खिंचाव (Stretch) फील करें और पैर का पंजा जमीन पर लगा हो।
10. पादहस्तासन (Hand to Foot pose)
दंसवी अवस्था के आसान को करने के लिए तीसरी स्थिति जैसी अवस्था को बनाएं। साँस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। पैरो के एड़ियां जमीन पर हो और साथ ही घुटने सीधे रहें।
ध्यान रखें की सर को घुटनो पर स्पर्श (Touch) करें।
11. हस्त उत्तानासन (Raised Arms pose)
ग्यारहवी अवस्था के आसान को करने के लिए दूसरी स्थिति जैसी अवस्था को बनाएं। साँस को धीरे-धीरे भरते हुए दोनों हाथो को पीछे की ओर लें जाएँ। दोनों हाथो को पीछे की ओर ले जाने के साथ-साथ गर्दन और कमर को भी पीछे की ओर झुकाएं।
यह अवस्था दूसरी स्थिति जैसी अवस्था के बराबर है।
12. प्रणाम आसन (Prayer pose)
बारहवीं अवस्था के आसान को करने के लिए पहली स्थिति जैसी अवस्था को बनाएं। सूरज की ओर चेहरा करके सीधे खड़े हो जाएँ और दोनों पैरों को को आपस में मिलाएं, पीठ को सीधा रखते हुए नमस्कार करें, जैसा की ऊपर इमेज में बताया गया है।
यदि आपको लेख पढ़ कर ऐसा लगा है की 12 आसनो में से कुछ आसन दोबारा डाल दिए गए है, तो आपको ऐसा गलत लगा है। क्योंकि यह एक जैसे आसन है जिनमे इमेज को Repeat किया गया है।
बाबा रामदेव की वीडियो के माध्यम से सूर्य नमस्कार करना सीखें।
Surya Namaskar in Hindi
सूर्य नमस्कार के फायदे (Benefits of Surya Namaskar in HIndi)
1. बीमारियों से छुटकारा दिलाता है (Relieves diseases)
सूर्य नमस्कार बुखार, उच्च रक्तचाप, चिंता, क्रोध और रक्त शर्करा जैसे रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है। बहुत से लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं, अगर वे सूर्य नमस्कार करते हैं, तो जल्द ही वे इन सभी बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।
2. हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
सूर्य नमस्कार हाई ब्लड प्रेशर से राहत दिलाता है। अगर सूर्य नमस्कार को सही ढंग से और नियमित रूप से किया जाए तो यह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को दूर करता है।
इन आसनों से शरीर में रक्त का संचार और ऑक्सीजन का संचार अच्छे से होता है और ऐसा होने से उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) नियंत्रित रहता है, जिससे उच्च रक्तचाप की समस्या दूर होती है।
3. फैट घटाने में कारगर है (Effective in reducing fat)
यह देखा गया है कि अक्सर लोग चर्बी (Fat) घटाने के लिए बहुत से तरीके अपनाते हैं, लेकिन चर्बी (Fat) को घटाने में नाकामयाब होते है। क्योंकि, इसका कारण यह है कि वह अन्य तरीके तो अपना लेते परन्तु सूर्य नमस्कार नहीं करते है।
अगर आप सुबह उठने के बाद रोजाना सूर्य नमस्कार करते हैं तो यह निश्चित रूप से फैट को कम करने में मदद करेगा।
4. जोड़ों और मांसपेशियों को करें मजबूत ( joints and muscles)
सूर्य नमस्कार जोड़ों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक है। सूर्य नमस्कार 12 आसनों का संगम है, जो विभिन्न तरीकों से किए जाते हैं। इन विभिन्न तरीकों को करने से शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
इसके आलावा सूर्य नमस्कार गर्दन, पैर और हाथ को भी मजबूती प्रदान करता है।
5. मजबूत करता है पाचन तंत्र (Strengthens Digestive System
सूर्य नमस्कार पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक है। जिन लोगों को भोजन पचाने में समस्या होती है या वे भोजन को ठीक से पचा नहीं पाते हैं, तो सूर्य नमस्कार करने की कोशिश करें।
क्योंकि सूर्य नमस्कार पाचन तंत्र को मजबूत करता है और भोजन को अच्छे से बचाने में मदद करता है।
सूर्य नमस्कार के लिए सावधानियां ( Surya Namaskar)
सूर्य नमस्कार करने या सीखने से पहले किसी योग शिक्षक की सलाह जरूर लें या उसकी देखरेख में सूर्य नमस्कार करना सीखें। क्योंकि शुरुवाती समय में खुद से सूर्य नमस्कार करना काफी कठिन हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। क्योंकि गर्भावस्था के समय यह महिलाओं के लिए सूर्य नमस्कार करना हानिकारक साबित हो सकता है।
यदि सूर्य नमस्कार करते समय लोगों को किसी भी तरह का दर्द महसूस होता है, चाहे वह गर्दन, हाथ, पैर, कमर या कहीं भी हो, तो उन्हें सूर्य नमस्कार तुरंत छोड़ देना चाहिए।
सूर्य नमस्कार या कोई भी योगासन करने के तुरंत बाद स्नान नहीं करना चाहिए। योग शिक्षकों द्वारा यह सलाह दी जाती है कि कोई भी योगासन या सूर्य नमस्कार करने के लगभग 15 से 30 मिनट बाद ही स्नान करना चाहिए।
यदि इस आर्टिकल से आपको कुछ फायदा मिला है, तो हमे कमेंट के जरिये जरूर बताएं।
और पढ़ें :- योग के बारे में पढ़ें।