Nauli Kriya in Hindi
योग के अनुसार, यह कहा गया है कि हर इंसान की मांसपेशियों को हर दिन किसी न किसी कार्य में गतिमान होना चाहिए। क्योंकि शरीर की मांसपेशियों को किसी कार्य में लगाकर हम ऊर्जा को प्रभावित कर सकते है।
इसके विपरीत, यदि हम ऊर्जा को प्रभावित नहीं करते है तो यह ठहरा हुआ पानी के समान अशुद्ध और बीमारियों का घर बना सकता है। इसलिए किसी ने सही ही कहा है एक स्वस्थ और तंदुरुस्त व्यक्ति ही एक शुद्ध और स्वच्छ जीवन की नींव रख सकता है।
इसके लिए, सबसे पहले, पेट और आंतों की मांसपेशियों को रोजाना किसी कार्य में गतिमान होना चाहिए। क्योंकि nauli kriya ही पेट से संबंधित रोगो और पाचन में सहायक होती है। और इस क्रिया से आने वाली बीमारियों और रुकावटों को दूर किया जा सकता है।
Nauli kriya एक क्रिया है जिसमें पेट को हिलाते हुए एक क्रिया की जाती है। यह गतिविधि पेट से संबंधित बीमारियों और आंतों की समस्याओं के उपचार में मदद करती है।
नौली क्रिया करने से पेट एक नली की आकृति के समान बन जाता है। जिसे करने से पेट से संबंधित कई समस्याएं और आंतों से जुडी बीमारिया ठीक हो जाती है।
इस क्रिया को करने के कई लाभ हैं। यह अपच की समस्या को ठीक करता है, भूक को बढ़ाता है और पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाता है।
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Toggleनौली क्रिया करने की विधि (How to do Nauli kriya in Hindi)
इस क्रिया को करना बहुत ही आसान है। बस शर्त यह है कि इसे सही तरीके और सही रूप के साथ किया जाएँ। यदि आप इसका पूरा लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसे पूर्ण रूप से और निरंतर अभ्यास के साथ किया जाएँ।
तो आइये जानते है नौलि क्रिया करने की विधि (Nauli kriya karne ke vidhi)
Nauli kriya करने के लिए सबसे पहले सीधा खड़े हो जाएँ, फिर दोनों घुटनो को मोड़ते हुए आगे की ओर झुके।
ध्यान रखें की दोनों हाथो को घुटनो पर रखें और पांवों के बीच में लगभग एक फुट का अंतर रहे।
इसके बाद पेट की नलों को ढीला रखते हुए अंदर की ओर खींचे, फिर नौलि को दाएं-बाएं ओर घुमाये।
इसके लिए बाएं हाथ की हथेली पर जोर डालते हुए नौलि को बाएं ओर निकाले। फिर दाएं हाथ की हथेली पर जोर डालते हुए नौलि को दाएं ओर निकाले।
इसी प्रकार नौलि को दाएं-बाएं ओर घुमाये। जैसे की ऊपर इमेज में दर्शाया गया है।
- इस क्रिया को लगभग 3 से 4 बार दोहराएं।
इसके कुछ दिनों या हफ्तों बाद ही नौलि निकलनी आरंभ हो जाएगी। लेकिन शर्त यह है कि इसका लगातर अभ्यास करें।
नौलि क्रिया को अन्य विधि द्वारा करें :-
- उड्डियान बंध
- वामननौली
- दक्षिण नौली
- मध्यमा नौली
उड्डियान बंध
पेट की आंतो को अंदर की तरफ खींचने से उड्डियान बंध क्रिया कहते है। इस क्रिया में पेट को जितना जो सकें अंदर की ओर खींचे।
वामननौली
पहली क्रिया यानि उड्डियान बंध क्रिया के बाद पेट की माँसपेशियों को बीच में छोड़े जो देखने पर नौलि की भांति दिखाई देगी। इस नौलि को बाएँ ओर ले जाएँ।
दक्षिण नौली
दूसरी क्रिया वामननौली के बाद नौलि जी दाएं ओर ले जाएँ। ध्यान रहे की पेट अंदर की ओर खींचा रहे।
मध्यमा नौली
इस क्रिया में, नौलि को दाएं से बाएं और बाएं से दाएं ओर घुमाएं।
बाबा रामदेव की वीडियो के माध्यम नौलि क्रिया करना सीखें।
और पढ़ें :- भुजंगासन करने की विधि, लाभ और सावधानियां।
नौलि क्रिया के लाभ (Nauli kriya Benefits in Hindi)
नौली क्रिया के कई फायदे हैं। जिनकी मदद से स्वस्थ और तंदुरस्त जीवन जीया जा सकता है। तो आइये जानते है नौलि क्रिया के फायदे : –
- वजन कम करने में लाभदायक है
- इम्युनिटी स्ट्रांग
- बीमारियों से राहत दिलाता है नौलि क्रिया
- कब्ज, गैस और एसिडिटी में लाभकारी
- मूत्रदोष या लिवर के लिए फायदेमंद है नौलि क्रिया
1. वजन कम करने में लाभदायक है (Beneficial in losing weight)
नौलि क्रिया वजन काम करने में रामबाण इलाज साबित हो सकता है। क्योंकि यह पेट की मांसपेशियों में मौजूद अतिरिक्त फैट पर सीधा काम करता है। जो वजन या फैट कम करने में सहायक है।
बहुत से लोगो को देखा गया है कि वह वजन या फैट कम करने में नाकामयाब होते है। लेकिन हम आपको बताते है कि निराश होने की कोई आवश्यता नहीं है क्योंकि वजन कम करने का कोई यह एक मात्र तरीका नहीं है बल्कि बहुत से तरीके है।
उनमे एक तरीका है नौलि क्रिया का अभ्यास करना।
2. इम्युनिटी स्ट्रांग (Immunity strong)
नौलि क्रिया इम्युनिटी स्ट्रांग करने में सहायक है। यह शरीर में गर्मी पैदा करती है जिससे पाचन, भूख और आत्मसात संबंधित समस्यां हल होती है।
आज के समय में लोगो को खासकर बूढ़ो की इम्युनिटी वीक रहती है जिससे उन्हें कई बीमारियां होने के खतरा बढ़ जाता है। लेकिन यह कोई चिंता जनक बात नहीं है। क्योंकि योग और प्राणायाम के द्वारा इन सभी समस्यां से छुटकारा पाया जा सकता है।
3. बीमारियों से राहत दिलाता है नौलि क्रिया (Relieves diseases)
नौलि क्रिया के नियमित और निरंतर अभ्यास से कई स्वस्थ संबंधित समस्याएं हल हो जाती है। यह क्रिया सभी रोग जैसे शारीरिक दर्द, वायु विकार तथा पेट से संबंधित बीमारियां को चुटकियों में हल कर देता है।
योग शिक्षकों द्वारा यह सलहा दी जाती है कि यह क्रिया पेट के लिए बहुत ही अच्छा और कारगर व्यायाम है। यह व्यायाम भूख को बढ़ाता है, तिल्ली, यकृत और पेट से संबंधित अनेक बीमारियों से मुक्ति दिलाता है।
4. कब्ज, गैस और एसिडिटी में लाभकारी (constipation, gas and acidity)
इस क्रिया के निरंतर अभ्यास से पेट के रोगो जैसे कब्ज, गैस और एसिडिटी में बहुत ही लाभकारी है। क्योंकि यह क्रिया पेट से संबंधित क्रिया होती है जिसकी मदद से नौलि को दाएं-बाएं और बाएं-दाएं घुमाया जाता है। जिसकी वजह से कब्ज, गैस और एसिडिटी की समस्या दूर होती है।
यह क्रिया कब्ज, गैस और एसिडिटी को दूर करने के साथ-साथ पेट की मांसपेशियों को मजबूत और आंतो के लिए बहुत ही फायदेमंद है।
5. मूत्रदोष या लिवर के लिए फायदेमंद है नौलि क्रिया (Beneficial to urination or lever)
यह क्रिया मूत्रदोष (urination) या बार-बार पेशाब जाने की समस्या को हल करता है और साथ ही लिवर के एंजाइम्स को बैलेंस करने में मदद करता है। यह क्रिया मूत्र विकार और किडनी से संबंधित समस्याओं को दूर करने में भी सहायक है।
योग शिक्षकों द्वारा यह सलहा दी जाती है कि इस क्रिया का अधिक लाभ उठाने के लिए इसे निरंतर व नियमित रूप से किया जाना चाहिए। तभी आप इसका अधिक लाभ उठा सकते है।
नौली क्रिया की सावधानियां (Precautions of Nauli Kriya)
- नौलि क्रिया करते समय हमेशा पेट को खाली रखें। किसी भी प्रकार का व्यंजन न करें।
- गर्भावस्था महिलाओ और मासिकधर्म महिलाओ को नौलि क्रिया नहीं करनी चाहिए।
- पेट से संबंधित कोई बीमारी या किसी भी प्रकार का ऑपरेशन हुआ हो तो उन व्यक्तियों को यह क्रिया नहीं करनी चाहिए।
- हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, कमर दर्द या हर्निया जैसी बीमारियां है तो उन्हें इस क्रिया से दूर रहना चाहिए।
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