Pregnancy Month by Month in Hindi: प्रेगनेंसी के 9 महीने के लम्बे अंतराल के दौरान महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे, दोनो में कई प्रकार के बदलाव आते हैं। कभी कभी विषयों की कम जानकारी की स्थिति में, वे ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं कि गर्भावस्था के दौरान क्या होता है, जिसके कारण आवश्यक समय पर आवश्यक कदम नहीं उठाए जाते हैं।
इस लेख में यानि Pregnancy Month by Month in Hindi Language गर्भ के पहले महीने से लेकर 9वें महीने के दौरान घटने वाली चीजों और होने वाले बदलाव की बात की गयी है।
प्रेग्नेंसी के 9 महीने के समय को 3 चक्रों में बांटा गया है। पहले चक्र में गर्भ ठहरने से लेकर 12 वें हफ्ते तक को शामिल किया गया है।
दूसरे चक्र में 13 वें हफ्ते से लेकर 27 वें हफ्ते को शामिल किया गया है जबकि अंतिम यानी तीसरे चक्र में 28 वें हफ्ते से ले कर बच्चे के जन्म होने तक के समय को शामिल किया गया है।
इन तीनो चक्रों को एक साथ जोड़ कर आएं समझते हैं की 9 महीने के इस लम्बे प्रेगनेंसी के समय में हर महीने किस प्रकार बच्चे का विकास होता है साथ ही और कौन कौन सी बातें इस दौरान घटती है।
तो आइये जानते है 9 महीने के लम्बे अंतराल के दौरान घटने वाली चीजे – Pregnancy Care Month by Month in Hindi Language
प्रेगनेंसी के 9 महीने की जानकारी – Pregnancy Month by Month in Hindi
और पढ़ें :- प्रेगनेंसी के बारे में सप्ताह दर सप्ताह – Pregnancy Week By Week In Hindi
प्रेगनेंसी का पहला महीना – Pregnancy ke first mahina in Hindi
अक्सर हमसे यह पूछा जाता है की प्रेगनेंसी का पहला महीना कब शुरू होता है ?
हम आपको बताते है कि Pregnancy के पहले महीने में ज़्यादा बदलाव नही देखने को मिलते हैं साथ ही पहले महीने में जो कुछ भी लक्षण दिखते हैं, यह लक्षण सभी प्रेग्नेंट महिलाओं में एक जैसे नही रहते हैं । सामन्यतः पहले महीने में प्रेगनेंसी, confirm दो बातों से होती है।
पहला, अगर पहले महीने में प्रेगनेंसी टेस्ट करते हैं तो प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आता है और दूसरा लक्षण पीरियड्स के न होने का होता है जो महिला के प्रेग्नेंट होने की ओर इशारा करता है।
हालांकि पीरियड्स मिस कर देना हमेशा प्रेग्नेंसी की निशानी नही होती है बल्कि यह कुछ अन्य समस्याओं की वजह से भी मिस हो सकता है।
इन दो लक्षणों के अलावा भी प्रेग्नेंसी के पहले महीने में कुछ और लक्षण दिख सकते हैं।
गर्भावस्था के लक्षणों का पहला महीना – first month of pregnancy symptoms in Hindi
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जी मचलना – पहले महिने के शुरुआत मे ही जी मचलने की समस्या आने लगती है साथ ही सुबह सुबह अधिक कमज़ोरी लगने लगती है।
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स्तन में कड़ापन – स्तन में कड़ापन भी पहले महीने से दिखना शुरू हो जाता है। इसके अलावा स्तन में सूजन और थोड़ा भी छूने मात्र से दर्द और असहजता का एहसास होने लगता है।
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थकान – महिला के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होने शुरू हो जाते हैं जिसका असर शरीर पर दिखने लगता है जिस कारण महिला को काफी थकान लगने लगती है।
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बार बार मूत्र का आना – पहले महीने में यह लक्षण सामान्य रूप से देखी जाती है । बार बार मूत्र आने की मुख्य वजह शरीर में hCG नामक हॉर्मोन के स्तर का बढ़ जाने से होती है। प्रेग्नेंसी के पहले महीने में ही भूख अधिक लगने लगती है साथ ही हर समय खाने की वस्तुओं की सुगंध महसूस होती रहती है।
पहले महीने में गर्भ में होने वाले बदलाव – changes in the womb in the first month of pregnancy
गर्भावस्था के पहले महीने के आरंभ में गर्भ के भीतर कुछ खास बदलाव नही होते हैं। पहले महीने के आंरभ में केवल स्पर्म और एग्स का निषेचन होता है जिसे ब्लास्टोसिस्ट (Blastocyst) कहते है।
इस दौरान अगर इस भूर्ण के आकार की बात करें तो यह महज़ 1 से 2 मिलीमीटर का होता है। हालांकि पहले महीने के अन्त के कुछ समय यानी तीसरे हफ्ते की बात करें तो तीसरे हफ्ते तक भूर्ण के लिंग का निर्धारण हो चुका होता है तथा कुछ ज़रूरी अंगो का भी निर्माण हो जाता है।
प्रेग्नेंसी का दूसरा महीना – Pregnancy ka 2nd Month in Hindi
दूसरे महीने में शिशु का विकास ब्लास्टोसिस्ट (Blastocyst) से बढ़ कर जाइगोट का रूप ले चुका होता है। जाइगोट में ही ऊतकों का विकास शुरू हो जाता है। इस स्तर पर होने वाले बदलावों को महिला भी अब महसूस कर सकती हैं।
दूसरे महीने में दिखने वाले लक्षण – second month pregnancy symptoms in hindi
दूसरे महीने में दिखने वाले लक्षण भी लगभग पहले महीने ही की तरह होते हैं अंतर यह होता है की पहले महीने में दिखने वाले लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है अर्थात, जी अधिक मचलने लगता है साथ ही उल्टी भी आने लग जाती है। थकान पहले महीने की अपेक्षा काफी अधिक बढ़ जाती है।
खास दूसरे महीने में प्रेग्नेंट महिला के कुछ आदतों (अगर है तो ) में बदलाव करने की सलाह डॉक्टर देते हैं। जैसे अगर महिला शराब, सिगरेट लेती हों या अत्यधिक चाय, कॉफी की आदी हों तो इसे छोड़ देना चाहिए ताकि शरीर स्वस्थ रह सके और भ्रूण का विकास ठीक से हो सके।
दूसरे महीने में महिला कर स्वभाव में काफि बदलाव होते हैं। महिला में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है साथ ही स्वभाव में तुरंत बदलाव होने लगते हैं। ऐसा शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण होते हैं।
महिला को होने वाले अत्यधिक थकान और कमज़ोरी, चक्कर इत्यादि की वजह से उनमें सेक्स के प्रति रूची कम हो जाती है।
दूसरे महीने में बच्चे का विकास – Baby development in the second month
दूसरे महीने में गर्भ में बच्चे की लंबाई मात्र 2.54 सेंटीमीटर यानी लगभग 1 इंच की होती हैं। इस आकार में ही बच्चे का दिल धड़कना शुरू कर देता है और उसके हाथ पैर भी विकसित हो चुके होते हैं।
प्रेगनेंसी का तीसरा महीना – Pregnancy Ka 3rd Month In Hindi
तीसरे महीने यानी गर्भ के पहले चक्र का अंतिम समय होता है। तीसरे महीने के आरंभ में बच्चे में विभिन्न हॉर्मोन का आदान (उत्पाद) होने लगता है। तीसरे महीने के अंत तक बच्चा पूरी तरह से विकास कर चुका होता है।
तीसरे महीने में दिखने वाले लक्षण – Third Month Pregnancy Symptoms In Hindi
तीसरे महीने में जी मचलने में कमी आने लगती है क्योंकि तीसरे महीने के आने आने तक प्रेग्नेंट महिला का शरीर प्रेग्नेंसी के आरंभ में शरीर में होने वाले हॉर्मोन के बदलाव का आदि हो चुका होता है।
महिला के पेट का आकर बढ़ने लगता है क्योंकि शिशु के विकास के कारण uterus का आकर भी तेज़ी से बढ़ता है।
तीसरे महीने तक थकान, चक्कर, उल्टी इत्यादि में कमी आने लगती है ऐसे में महिला को प्रेग्नेंसी के समय किये जाने वाले ज़रूरी व्यायामों की शुरु कर देना चाहिए।
इससे महिला के शरीर का लचीलापन बढ़ता है साथ ही ताकत भी बढ़ती है।
तीसरे महीने में भी स्वभाव में उतार चढ़ाव बना रह सकता है लेकिन सामान्यतः यह भी महीने के अंत में खत्म हो जाता है।
तीसरे महीने में बच्चे का विकास – Baby development in the third month
तीसरे महीने तक बच्चे का आकार 2 से 4 इंच के बीच का हो जाता है। तीसरे महीने तक बच्चे की अधिकतर अंग बन चुके होते हैं साथ ही नाखून का भी विकास आंरभ हो जाता है। तीसरे महीने तक बच्चा अपने हाथ पैर को घुमाने में सक्षम हो जाता है। तीन महीने के अंत के आते आते गर्भपात की भी आशंका कम हो जाती है।
प्रेगनेंसी का चौथा महीना – Pregnancy ka 4th Month in Hindi
चौथे महीने तक हार्मोन पूरी तरह से व्यवस्थित हो चुके होते हैं। महिला को होने वाले Morning sickness समेत अन्य समस्याओं से भी काफी हद तक छुटकारा मिल जाता है और महिला अब सामान्य महसूस करने लगती है।
चौथे महीने में दिखने वाले लक्षण – Fourth Month Pregnancy Symptoms In Hindi
महिला अब बच्चे के मूवमेंट को महसूस करने लगती है। जी मचलने की समस्या खत्म हो जाती है और महिला की ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है। महिला को ह्रदय में जलन महसूस हो सकती है। ऐसा uterus के बढ़ने के कारण होता है। महिला का स्वभाव भी इस स्टेज तक सामान्य हो जाता है।
चौथे महीने में बच्चे के विकास (Pregnancy Month by Month in Hindi)
बच्चे की लंबाई 5 से 6 इंच और वजन चार औन्स यानी 113 ग्राम होता है। इस समय बच्चे का ह्रदय और चेहरा पूरी तरह से बन चुका होता है लेकिन फेफड़ा अब भी बन रहे होते है तथा आँख भी कुछ हद तक बन चुकी होती है।
प्रेगनेंसी का पाँचवा महीना – Pregnancy ka 5th Month in Hindi
पांचवे महीने में दिखने वाले लक्षण – fifth Month Pregnancy Symptoms In Hindi
Pregnancy के आधे सफर तक महिला का वजन 8 से 10 किलो तक बढ़ जाता है। 5वें महीने तक भूख बढ़ने लगती है तथा थकान की समस्या फिर वापस आ जाती है। कुछ महिलाओं को इस समय कब्ज़ और भारीपन की भी करना पड़ता है।
बच्चे में होने वाले विकास (Pregnancy Tips Month by Month in Hindi)
5वें महीने तक बच्चे का वज़न 280 ग्राम और लंबाई 6 से 9 इंच तक हो जाती है। बच्चे का फिंगरप्रिंट भी बन जाता है। अगर गर्भ में लड़की पल रही है तो इसी समय ओवरी भी बन जाता है।
प्रेगनेंसी का छठा महीना – Pregnancy ka 6th Month in Hindi
छठे महीने में दिखने वाले लक्षण – Sixth Month Pregnancy Symptoms In Hindi
छठे महीना यानी यह गर्भ के दूसरे चक्र के समाप्ति का समय होता है। इस समय महिला में ह्रदय में जलन, पैर में करैम्प इत्यादि की समस्या होती है। इसी समय से महिला का वजन और भी बढ़ने लगता है जिसके कारण थकान अधिक होने लगती है। कुछ महिलाओं को इसी समय मधुमेह (डायबिटीज़) की शिकायत भी रहती है।
छठे महीने में बच्चे का विकास – Baby Development In The Sixth Month
छठे महीने तक बच्चे का वज़न 500 ग्राम से अधिक और लंबाई लगभग 10 इंच हो जाती हैं। बच्चे की आँख भी खुलने और बन्द होने लगता है। इसी समय वोकल कॉर्ड और भौं (eyebrow) का निर्माण होता है।
प्रेगनेंसी का सातवां महीना – Pregnancy ka 7th Month in Hindi
सातवें महीने में दिखने वाले लक्षण – seventh Month Pregnancy Symptoms In Hindi
सातवें महीने में महिलाओं के हाथ पैर में क्रैम्प अधिक होने लगता है तथा जोड़ों में ढीलापन आने लगता है। इसी समय जन्म के दौरान होने वाले क्रैम्प की तरह क्रैम्प भी होते है।
सातवें महीने में बच्चे का विकास – Baby Development In The seventh Month
सातवें महीने तक बच्चे के शरीर में फैट बनने लगता है। इस समय लंबाई लगभग 12 इंच और वज़न 1 से 1.5 किलो के आसपास हो जाती है। इस समय तक बच्चे में देखने की क्षमता अच्छे से विकसित हो जाती है।
प्रेगनेंसी का आठवां महीना – Pregnancy 8th Month Symptoms in Hindi
आंठवे महीने में दिखने वाले लक्षण – eight Month Pregnancy Symptoms In Hindi
आठवें महीने तक बच्चे के तेज़ मूवमेंट के कारण महिला में थोड़ी असहजता आती है। ह्रदय के जलन में और बढ़ोतरी होती है तथा त्वचा में तनाव काफी बढ़ जाता है।
आंठवे महीने में बच्चे का विकास – Baby Development In The eight Month
इस समय स्वस्थ बच्चे का वज़न 2 किलो से अधिक और लंबाई 1 फिट तक हो जाती है तथा नर्वस सिस्टम, बाल , स्वाद के पहचानने की शक्ति इत्यादि का विकास तेज़ी से हो रहा होता हैं। बच्चे का मस्तिष्क और फेफड़े का विकास अंतिम चरण में होता है। इस समय बच्चे का मूवमेंट कम हो जाता है।
प्रेगनेंसी का नौवां महीना – Pregnancy ka 9th Month in Hindi
नौवें महीने में दिखने वाले लक्षण – nine Month Pregnancy Symptoms In Hindi
यह प्रेगनेंसी और प्रेगनेंसी के तीसरे चक्र का आखरी महीना होता है। इसी महीने में बच्चे का जन्म हो जाता है। 9वें महीने में बच्चा पेल्विक एरिया में आ जाता है इस स्थिति में महिला को सांस लेने में आसानी होती है।
इस समय महिलाओ को सोने में दिक्कतें आ सकती है, क्योंकि पेट का आकार काफी बढ़ चुका होता है साथ ही चक्कर आने की समस्या भी होती है। इस समय तक महिला का वजन 15 किलो से भी अधिक बढ़ चुका होता है।
नौवें महीने में बच्चे का विकास – Baby Development In The nine Month
अंतिम महीने में बच्चे का मस्तिष्क और फेफड़ा तेज़ी से विकसित हो जाता है। बच्चे के सभी ज़रूरी अंग तैयार हो चुके होते हैं। अब बच्चा बाहर आ कर देख रेख के साथ सामान्य वातावरण में रहने लायक हो चुका होता है। इस समय एक स्वस्थ बच्चे की लंबाई 18 से 21 इंच और वज़न 2.5 से 3 किलो तक होता है।
निष्कर्ष (Conclusion).
आशा है कि गर्भावस्था के दौरान विकास और परिवर्तनों को पढ़ने के बाद, अब आप चीजों को आसानी से समझ पाएंगे। क्योंकि ऐसे समय में, सही जानकारी का अभाव हानिकारक साबित हो सकता है।
हमें उम्मीद है कि इसे पढ़ने के बाद आपको कुछ मदद मिलेगी।
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