Yoni Mudra in Hindi
योगाभ्यास पुराने समय से ही चला आ रहा जीवन का एक अहम और मूल्यवान हिस्सा है। प्राचीन काल में ऋषि और महर्षि द्वारा योगाभ्यास या इसकी मुद्राओ को अभ्यास किया जाता था।
कहा जाता है की उनकी स्वास्थ्य प्रणाली इतनी मजबूत थी कि उन्हें बीमारियां होने का खतरा कम रहता था। क्योंकि वह निरंतर और नियमित रूप से योग तथा योगिक मुद्राओ का अभ्यास करते थे।
आज हम एक ऐसी मुद्रा के बारे में बताने जा रहे है जो तन-मन को शांत और आंतरिक आवाज को सुनने की शक्ति देता है। इस मुद्रा का नाम है योनि मुद्रा (Yoni Mudra) ।
योनि मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जो शरीर को संतुलित और सुचारू रूप से कार्य करने की क्षमता प्रदान करती है। यह मुद्रा सिर्फ और सिर्फ बीमारियों से राहत दिलाने में मदद नहीं करती है बल्कि आत्मा को परमात्मा से मिलाती है।
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Toggleयोनि मुद्रा क्या है – Yoni Mudra In Hindi
योनि मुद्रा संस्कृत भाषा के शब्द है जो दो शब्दों से बने है योनि + मुद्रा। योनि का अर्थ होता है महिला प्रजनन से संबंधित और मुद्रा का अर्थ होता है एक ही स्थिति को बनाये रखना या प्रतीकात्मक।
इस मुद्रा को Yoni Mudra इसलिए कहा जाता है क्योंकि, यदि कोई व्यक्ति इसका निरंतर और नियमित रूप से अभ्यास करता है तो उसका मिलन आत्मा से परमात्मा तक है और बाहरी दुनिया अर्थार्थ सभी चीजों से सम्पर्क टूट जाता है।
Yoni Mudra उन सभी मुद्राओ में से एक है जो तन-मन की शांति और ताज़गी का प्रतिक है। इस मुद्रा में आकर Uterus (गर्भाशय) में एक बच्चे की तरह महसूस किया जाता है।
क्योंकि, जैसे एक गर्भाशय बच्चे का बाहरी दुनिया से कोई सम्पर्क नहीं रहता वैसे ही इस मुद्रा में आकर लोग आनंद की स्थिति को महसूस करते है।
योनि मुद्रा करने का तरीका – Yoni Mudra Steps In Hindi
Yoni Mudra का अभ्यास करना बहुत आसान है। इस मुद्रा को आप कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। लेकिन अगर आप इसे खुली हवा में करते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
इस मुद्रा का अभ्यास करने के लिए, सबसे पहले एक चटाई या योग मेट का उपयोग करें। फिर उसके बाद वज्रासन, सुखासन या किसी अन्य ध्यान मुद्रा में बैठें और ध्यान केंद्रित करें।
शरीर को बिल्कुल सीधा रखते हुए सामने की तरफ देखें और किसी भी तरह का झुकाव न रखें।
अब गहरी सांसें लें और अपने दिमाग को शांत रखें।
इसके बाद दोनों हाथों के अंगूठे को दोनों कानों पर रखें और तर्जनी उंगली (Index finger) पलकों पर और साथ ही मध्यमा उंगली (middle finger) को नाक के ऊपर रखें।
इसके अलावा, रिंग फिंगर को होंठों पर और कन्या उंगली को होंठों के नीचे रखें।
इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कोहनियां कंधे के बराबर रहें यानी सीधी रहें और कंधे में कोई झुकाव न हो।
अब नाक से सांस को अंदर लेकर मध्यमा उंगली (middle finger) से नाक को बंद कर लें।
अब कुछ क्षणों के लिए सांस को रोककर रखें और ओम का जाप करते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
फिर दोबारा से साँस को अंदर लेकर बहार छोड़े।
जब आप साँस को बहार छोड़ रहे है तो उस समय आपके चेहरे पर कम्पन महसूस होना चाहिए।
इस अभ्यास को लगभग 5 से 10 मिनट तक करे।
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योनि मुद्रा के फायदे – Yoni Mudra Benefits In Hindi
इस मुद्रा के द्वारा अनेक लाभ उठाये जा सकते है। तन-मन को शांत करके आंतरिक शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। जिससे किसी प्रकार की होने वाले बीमारी अथवा रोग से बचा जा सकता है। बस शर्त यह है कि इसे निरंतर किया जाये।
आइये जानते है योनि मुद्रा के लाभ (Benefits of Yoni Mudra In Hindi )
- तनाव को कम करने में मददगार है योनि मुद्रा
- आंतरिक शांति के लिए योनि मुद्रा
- तंत्रिका तंत्र के लिए फायदेमंद
- एकाग्रता को बढ़ाता है योनि मुद्रा
- प्रजनन तंत्र के लिए फायदेमंद
1. तनाव को कम करने में मददगार है योनि मुद्रा (Reducing Stress)
यह मुद्रा तनाव को कम करने में सहायक है। इसके नियमित अभ्यास से तनाव,चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन चिंता और गुस्सा जैसी समस्याएं दूर होती है। इसके अभ्यास से मस्तिष्क में रासायनिक स्राव (Chemical secretion) होता है।
इसके साथ ही यह शरीर से विषैले तत्व (Toxic elements) जैसे पदार्थ को बहार निकाल देता है। जिससे तनाव और डिप्रेशन दूर होता है।
यही नहीं बल्कि यह मुद्रा cortisol hormone को बढ़ावा देता है जिससे नकारात्मक विचार और नींद न आना जैसी बीमारिया दूर होती है। अगर आप इस मुद्रा का सही रूप और सही तरीके से अभ्यास करेंगे तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
2. आंतरिक शांति के लिए योनि मुद्रा ( Yoni Mudra for Inner Peace)
यह माना जाता है कि योग और योगिक मुद्रा आंतरिक शांति के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके यह लाभ देखकर इसका महत्व ओर भी बढ़ जाता है। इसके रोजाना अभ्यास से आंतरिक और बाहरी शांति मिलती है जो आत्मा और परमात्मा के मिलन का रास्ता है।
इस मुद्रा के द्वारा व्यक्ति खुद व खुद खामिया और शक्तियों दोनों महसूस करने के सक्षम हो जाता है। जिसक कारण वह आंतरिक और आध्यात्मिक रूप से शांत महसूस करता है।
3. तंत्रिका तंत्र के लिए फायदेमंद (Beneficial for the Nervous System)
इस मुद्रा से तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है। यह वह प्रक्रिया है जिसमें सांस को अंदर और बाहर छोड़ते हुए क्रिया की जाती है। जिसके कारण व्यक्ति का तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है।
अगर आप लोग इस मुद्रा का सही रूप से अभ्यास करते है तो यह आपके लिए लाभदायक साबित होगा।
4. एकाग्रता को बढ़ाता है योनि मुद्रा (Increases Concentration)
माना जाता है कि योनि मुद्रा एकाग्रता को बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है। यह मुद्रा मस्तिष्क की उथल-पुथल को रोककर किसी कार्य में ध्यान लगाने में मददगार होती है।
इस मुद्रा को एक तरह से मेडिटेशन करना कहा जा सकता है। यह आसन उन लोगों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद हो सकता है, जिनका दिमाग एक जगह पर नहीं रहता, बल्कि भटका हुआ रहता है, यह आसन उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।
इसके आलावा यह मुद्रा बच्चो या विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। क्योंकि किशोरावस्था की आयु में एक जगह ध्यान केंद्रित करना काफी मुश्किल हो सकता है।
5. प्रजनन तंत्र के लिए फायदेमंद (Beneficial for reproductive system)
दरअसल, प्रजनन तंत्र (Reproductive system) में असंतुलन के कारण औरतो को मां बनने में समस्याएं आ सकती है। लेकिन, अगर योगाभ्यास और यौगिक मुद्राओ का सही रूप और सही तरीको से इस्तेमाल किया गया तो यह तन-मन को शांत करने के साथ-साथ प्रजनन तंत्र (Reproductive system) को संतुलित करने में भी मदद करती है।
यह मुद्रो हाथो से जुडी मुद्रा होती है जिसे योनि कहते है, जोकि महिला प्रजनन से संबंधित होती है। इसीलिए यह मुद्रा प्रजनन तंत्र के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
योनि मुद्रा के लिए सावधानियां (Precautions For Yoni Mudra In Hindi)
यह एक तथ्य है कि योग और योग मुद्राएं स्वास्थ्य, शरीर और मन के लिए बहुत फायदेमंद हैं। लेकिन, अगर इन क्रियाओं या मुद्राओं में कुछ छोटी सावधानियां नहीं बरती जाती हैं, तो यह हमारे लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं।
तो जाने योनि मुद्रा की कुछ सावधानियां :-
अगर आपको यह मुद्रा करते समय किसी भी प्रकार का दर्द एवं कठिनाइयां महसूस होती है तो इस मुद्रा का अभ्यास बिल्कुल भी ना करें।
यदि आपको कोई बीमारी है, तो इस आसन को किसी योग शिक्षक की देखरेख में करें या उसकी मदद से इस आसन को करने का प्रयास करें।
अगर आपको रीड की हड्डी या घुटने से संबंधित दर्द या बीमारी है, तो इस आसन को बिल्कुल न करें।
इस मुद्रा का अभ्यास करते समय आपको गर्दन या पीठ में दर्द होता है तो इस आसन का अभ्यास बिल्कुल भी ना करें।
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