चेचक एक गंभीर बीमारी है। यह बीमारी छोटे बच्चों और वयस्क दोनों को होती है। इस बीमारी से शरीर पर छोटे-छोटे चकत्ते पड़ जाते हैं। दाने सामान चेचक को आम भाषा में माता कहते हैं। चेचक के दाने छोटे और बड़े दोनो के रूप में निकलते हैं। लेकिन यह देखने में बराबर ही लगते हैं। जब भी किसी को चेचक होता है। तो रोगी बहुत घबरा जाता है। अनेक तरह के उपाय करता है। झाड़-फूंक तांत्रिक, बाबा आदि के पास इलाज के लिए जाता है। इसके बाजूद उसे राहत नहीं मिलती। चेचक बीमारी के कारण शरीर में दाने निकल आते हैं। साथ में दर्द और खुजली भी होती है। रोगी कमजोर हो जाता है। कई बार कई दिनों तक बुखार बना रहता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में चेचक से जुड़ी पूरी जानकारी देंगे।
क्यों होता है चेचक (What is smallpox)
चेचक एक विषाणु से होने वाली बीमारी है। इस रोग के विषाणु त्वचा की छोटी रक्त वाहिकाओं गले और मुंह में असर दिखाते हैं। यह केवल मनुष्य में होता है कई बार चेचक महिलाओं में भी देखे गए है। लेकिन इसकी प्रतिशत संख्या कम है। चेचक के लिए दो प्रकार के कारण को हमेशा उत्तरदाई माना जाता है। पहला वायरोला मेजर और दूसरा वायरोला माइनर।
वायरोला मेजर
वायरोला मेजर की बात की जाए तो इसके विषाणु माइनर की तुलना में ज्यादा खतरनाक और मारक होते हैं। इसके कारण मृत्यु होने की संभावना अधिक होती है।इसके होने पर चेहरे पर दाग, अंधेपन की समस्या हो सकती है।
वायरोला माइनर
इनमें से वायरोला माइनर विषाणु कम खतरनाक होता है। इसके कारण बहुत कम मृत्यु होती है। यह रोग अत्यंत संक्रामक है लेकिन यह जल्दी फैलता है इसके टीके के अविष्कार से पहले चेचक एक महामारी की तरह फैलता था। जिसकी वजह से बहुत जल्दी लोगों की मृत्यु होती थी।
चेचक का इतिहास
चेचक एक संक्रामक, कुरुपित करने वाली और घातक बीमारी है। जिसने मनुष्य को हजारों सालों से प्रभावित किया है। वैश्विक टीकाकरण अभियान के कारण 1980 तक स्वाभाविक रूप से होने वाले चेचक को दुनियाभर में खत्म कर दिया गया था। यह एक ऐसी बीमारी है। जिसने दुनिया को एक समय पर अपनी चपेट में ले लिया था। इससे भारत भी अछूता नहीं रहा है। 1980 के आसपास भारत में इस बीमारी ने ऐसा प्रकोप उठाया कि कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। इसके टीके और रोकथाम के लिए कई उपाय किए गए लेकिन कारगर साबित नहीं हो पाए। आखिरकार चेचक टीके का आविष्कार हुआ। तब जाकर इसमें कंट्रोल आया । माना जा रहा है कि भविष्य में यह बीमारी फिर से दस्तक दे सकती है। पहले की अपेक्षा यह कम खतरनाक होगा। हालांकि इसके साइड इफेक्ट के खतरे काफी अधिक हो सकते है। ऐसे में नियमित रूप से टीकाकरण करवा आप ऐसी बीमारी से बच सकते हैं। चेचक का पहला टीका 1798 बनाया गया था। हालांकि यह बीमारी 200 वर्षों तक लोगों के व्यापक रूप से प्रभावित करती रही है। इस बीमारी के लिए दुनिया भर में अभियान चलाया था। कुछ देशों में यह बीमारी अभी भी एक परेशानी का सबब बनी हुई है।
चेचक के कारण
चेचक एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी के होने के निम्न कारण है।
एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति द्वारा यह बीमारी तेजी से फैलती है। वायरस के सीधे संचरण के लिए आमतौर पर लंबे समय तक आमने-सामने संपर्क की आवश्यकता होती है। यह वायरस हवा में मौजूद कणों के माध्यम से फैल सकता है। जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से होता है। यह एक ऐसी बीमारी है कि एक दूसरे के छूने और साथ रहने से भी होती है। चेचक दूषित कपड़ों और बिस्तर के संपर्क में आने से भी फैलता है। हालांकि इन स्रोतों के संक्रमण का कारण कम होता है। सामान्य तौर पर चेचक बीमारी तेजी से फैलती है। ।
छोटे चेचक और बड़े चेचक में क्या अंतर है
दोनों ही प्रकार के चेचक में दाने निकलते हैं। इनमें मुख्य अंतर यह होता है कि बड़ी मात्रा में दाने बड़े चेचक में होते हैं। छोटी मात्रा में दाने छोटे चेचक बीमारी में होते हैं। इसलिए जब भी आप चेचक के घरेलू उपचार करें तो बीमारी की पहले पहचान कर ही करें
बड़ी चेचक
बड़ी चेचक के दानों में मवाद या पास भर जाता है। यह बीच में ही फट जाते हैं। और फिर सूख जाते हैं। इनमें बनकर उतर जाती है।
छोटी चेचक
छोटे चेचक के दाने बहुत छोटे होते है। यह बीच से फटते नही बल्कि सूख जाते हैं। इनमें कोई पपड़ी नहीं उतरती है। यह बीमारी छोटी उम्र से ही हो जाती है।
चेचक के लक्षण
चेचक के लक्षण निम्न प्रकार हैं
- बहुत तेज बुखार आना
- धीरे-धीरे शरीर पर लाल दाने देखने लगना
- दानों पर मवाद होना
- सूखे दाने निकलना और अपने आप हट जाना
- खुजली होना
- बार बार गला सूखना
- पूरे शरीर में दर्द होना
- जी मचलाना
- बार बार उल्टी आना
- सिर दर्द की शिकायत होना
- पीठ में दर्द होना
- गले में सूजन होना
- खांसी आना गला बैठ जाना
चेचक के घरेलू उपाय
गाजर और धनिया का करे इस्तेमाल
गाजर और धनिया पत्ती दोनों चीजें ठंडी होती है। इनका मिश्रण एक अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट होता है। एक कप गाजर के टुकड़े और दो कप धनिया के पत्ते कटे हुए 200 ग्राम पानी में उबालें । पानी जब आधा रह जाए तो इसे पी लें। ऐसा एक माह तक करें आराम मिलेगा।
नीम का चेचक में उपयोग
नीम के पत्ती काफी फायदेमंद होती हैं। नीम के पत्ते को पानी के साथ पीसकर प्रभावित भाग में मिलाएं। नीम के पत्तों को पानी में उबालें और इस पानी को नहाने के पानी में के साथ प्रयोग करें। इससे चेचक फैलने की संभावना कम होती है। और दर्द में भी काफी कमी आती है।
काली मिर्च का चेचक में उपयोग
एक चम्मच प्याज के रस में दो से तीन काली मिर्च को पीसकर एक हफ्ते तक दिन में दो से तीन बार पिए। इसके सेवन से छोटे , बड़े चेचक ठीक हो जाते है।
जई के आटे से करे चेचक दूर
चेचक के समय शरीर पर खुजली होना आम बात है। इससे बचने के लिए जई के आटे को पानी में मिलाकर लगभग 15 मिनट तक उबालें। इस पानी को नहाने के पानी में डाल कर बच्चों को नहलाएं इससे खुजली में राहत मिलती है।
सिरका का उपयोग चेचक में
आप अगर सिरके को नहाने के पानी में डालकर रोजाना स्नान करें। एक हफ्ते में आपको चेचक बीमारी से आराम मिलेगा।
हरी मटर से करे चेचक दूर
हरी मटर को पानी में पकाएं और इस पानी को शरीर में लगाएं। इससे चेचक होने वाले लाल चकत्ते समाप्त हो जाएंगे।
हर्बल चाय से करे चेचक दूर
आप कैमोमाइल तुलसी मेरीगोल्ड और लेमन बाम जैसी औषधि जड़ी बूटियों से बनी हर्बल चाय का सेवन भी कर सकते हैं। इनमें से किसी भी एक जड़ी बूटी की एक चम्मच मात्रा को एक कप उबलते पानी में मिलाएं। इसे कुछ मिनट के लिए खौलने दें। और फिर छान लें। थोड़ी देर इसमें थोड़ी सी दालचीनी ,शहद और रस मिलाएं। इसके बाद चाय का आनंद लें। कुछ दिन ऐसा करने से आपको राहत मिलेगी।
लैवंडर तेल से करे चेचक दूर
चिकन पॉक्स के पड़ने वाले दागों से छुटकारा दिलाने के लिए लैवेंडर का तेल बहुत असरदार होता है। लैवंडर के तेल को बादाम के तेल या नारियल के तेल के साथ मिलाकर प्रवाहित हिस्सों पर लगाएं। इस नुस्खे को दो से तीन बार दोहराए। आपको एक हफ्ते में आराम मिलने लगेगा।
चेचक के प्रति क्या सावधानी बरतनी चाहिए
- रोगी को घी और तेल यूं तो खाना ना दें
- यदि छोटे बच्चों को चेचक हो तो उसके हाथों पर कपड़ा बांध दें इससे वह खुजली नही कर पायेगा।
- रोगी का बिस्तर, कपड़े, तौलिया, अलग रखें
- चेचक पीड़ित व्यक्ति के सभी कपड़े साफ-सुथरे रखें।
- मरीज को ढीले कपड़े पहनाए।
- रोगी की कपड़े, तोलिया , बिस्तर को नीम के पानी या डिटोल से अच्छी तरह धूलें।
- रोगी को धूप में ना निकलने दे। जितना हो सके रोगी को ठंडे स्थान पर रखें।
- किसी प्रकार का इलाज करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- तांत्रिक बाबा के झाड़-फूंक के चक्कर में ना पड़े।
चेचक के कितने चरण होते हैं
चेचक के तीन चरण होते हैं
1: पहले चरण के दौरान आपके शरीर में छोटे-छोटे लाल या गुलाबी दाने दिखाई देंगे। जिनमें बहुत अधिक खुजली होती है।यह दाने पूरे शरीर पर दिखा देते है।
2: दूसरा चरण के दौरान के दाने फफोले बन जाते हैं। इसमें मवाद भर जाता है। इसमें एक तरह का तरल पदार्थ भरा होता है।
3: तीसरे चरण के अंत में इस घाव पर पापड़ी बन जाती है। और यह घाव धीरे-धीरे सूखने लगता है। जब तक आपके शरीर में हुए घाव पूरी तरह ठीक तरह से गायब नहीं हो जाते तब तक उस जगह पर खुजली ना करें।
निष्कर्ष
चेचक एक संक्रामक बीमारी है। यह खांसने, छींकने, छूने से फैलती है। इसको सामान्य भाषा में माता कहते हैं। कई बार चेचक एक गंभीर रोग में बदल जाती है। जिससे रोगी की जान भी चली जाती है। कई बार कुछ घरेलू उपाय करने से यह ठीक हो जाती है। हमने आपको आर्टिकल में चेचक से जुड़ी पूरी अहम जानकारी दी है। उम्मीद है इस आर्टिकल के जरिए आप और अच्छी तरह समझ सकेंगे।