बवासीर एक ऐसी बीमारी है। जिसमें एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आने लगती है। इस बीमारी में एनस के अंदर और बाहर के हिस्से में कुछ मस्से भी आने लगते हैं। कई बार स्टूल पास करते समय जोर लगाने पर इन मस्सों से खून निकलने लगता है। बवासीर एक बेहद ही गंभीर और परेशान करने वाली बीमारी है। खराब डाइट बिगड़ते लाइफस्टाइल की वजह से पनपने वाली बीमारी उठने और बैठने में पीड़ित व्यक्ति को दूभर कर देती है। पाइल्स को सामान्य भाषा में बवासीर भी कहते हैं। यह पुरानी कब्ज और टाइट दस्त के कारण होता है। जब इन क्षेत्रों की दीवारों को फैलाया जाता है तो यह गुदा और मलाशय के निचले क्षेत्रों में एकत्रित नसों में सूजन और जलन होने लगती है। पाइल्स में सामान्य तौर पर 4 वयस्कों में से लगभग 3 को एक बार जरूर होती है।
क्यों होता है बवासीर
बवासीर की समस्या में आपके मल द्वार में मस्से बन जाते हैं। जिनकी वजह से मल त्याग करते समय ब्लीडिंग और दर्द होता है। शौच करते समय जोर लगाने पर गुदा में बने मस्से बाहर आ जाते हैं। जिसकी वजह से मरीज की हालत गंभीर हो जाती है। शुरुआती स्टेज में बवासीर के मस्से ना के बराबर देखते हैं। इसके बाद जैसे यह समस्या दूसरी स्टेज में पहुंचती है। तो मरीज की परेशानियां बढ़ने लगती है। पाइल्स की समस्या ज्यादातर लोगों को कब्ज और पेट की खराबी के कारण होती है। असंतुलित खानपान और बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन खाने से बवासीर की समस्या का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा बहुत ज्यादा देर तक एक जगह बैठे रहने या खड़े रहने में भी कुछ लोगों को पाइल्स की समस्या होती है। मोटापे की समस्या से ग्रसित लोगों में पाइल्स होने का खतरा सामान्य है।
बवासीर कितने प्रकार की होती है
बवासीर मुख्यता चार प्रकार की होती है।
अंदरूनी बवासीर : बवासीर का यह प्रकार मलाशय के अंदर विकसित होता है। बवासीर के कुछ मामलों में यह दिखाई नहीं देते क्योंकि यह गुदा के काफी गहराई में विकसित होते हैं। अंदरूनी पाइल्स सामान्य तौर पर कोई गंभीर स्थिति पैदा नहीं करते और यह अपने आप ठीक हो जाते हैं।
बाहरी बवासीर : बवासीर का यह प्रकार मलाशय के ऊपर विकसित होता है। यह ठीक उसी हिस्से के बाहरी तरफ विकसित होता है। जहां से मल बाहर आता है। कुछ मामलों में यह दिखाई नहीं पड़ते जबकि अन्य मामलों में यह मलाशय की सतह पर गांठ के जैसे बने हुए दिखाई पड़ते हैं। बाहरी पाइल्स से आमतौर पर कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं होती है। लेकिन अगर आपको इससे दर्द है। तकलीफ हो रही है तो फिर आपकी रोजाना की जीवन शैली में खराब है।
प्रोलेप्सड बवासीर : जब अंदरूनी बवासीर में सूजन आ जाती है। और वह मलाशय से बाहर की तरफ निकलने लग जाती है। और इस स्थित को प्रोलेप्स बवासीर कहा जाता है। इसमें पाइल्स एक सूजन क्रस्ट गांठ की तरह या गुदा से बाहर की तरफ निकली हुई गांठ की तरह दिखाई देती है। आईने की मदद से इस क्षेत्र की जांच करने के दौरान आप इस की गांठ को देख सकते हैं।
खूनी बवासीर: बवासीर के इस प्रकार को बवासीर की जटिलता भी कहा जा सकता है। जिसमें खून के थक्के बनने लगते हैं। यह खून के थक्के बाहरी और अंदरूनी दोनों हिस्से में विकसित होते हैं। यह सबसे खतरनाक होती है।
बवासीर कितने ग्रेड में होती है
आंतरिक बवासीर को उनकी गंभीरता और आकार के अनुसार चार ग्रेड में वर्गीकृत किया गया है।
ग्रेड ए : आंतरिक बवासीर में गुदा नलिका की अंदरूनी परत पर हल्की सी सूजन होती है। इसमें दर्द नहीं होता है। ग्रेड ए बवासीर आम बात होती है।
ग्रेड बी: इसमें थोड़ी सूजन अधिक होती है। मल त्याग करते समय जोर लगाने पर खून के साथ मस्से भी बाहर आ जाते हैं। लेकिन मल त्याग के बाद मस्से अंदर चले जाते हैं।
ग्रेड सी: इस ग्रेड में जब आप शौचालय में जाते हैं। तो मस्सों के साथ-साथ खून भी आता है। मल त्याग करने के बाद उंगली से अंदर करने पर यह अंदर चले चलते जाते हैं।
ग्रेड डी: आंतरिक बवासीर में बहुत अधिक दर्द होता है मल त्याग करते समय जोर लगाने पर खून के साथ मुझसे भी बाहर आ जाते हैं। लेकिन उंगली से अंदर करने पर अंदर नहीं जाते हैं। यह मस्से कभी कभी इतने बड़े हो जाते हैं कि बैठने उठने में दिक्कत देते हैं। साथ ही इसका ऑपरेशन भी बहुत कठिन होता है।
बवासीर होने के क्या कारण हैं
आयुर्वेद में बवासीर को अर्श कहा गया है। वात ,पित्त और कफ तीनों दोषों को दूषित होने की वजह से पाइल्स होता है यही वजह है कि आयुर्वेदिक में इसे त्रिदोषज वह भी कहा गया है। कई लोगों में बवासीर पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है। इसके अन्य कारण हैं।
- कई लोगों को अपनी जॉब के कारण कई घंटों तक खड़े रहना पड़ता है और लंबे समय तक खड़े रहने से बवासीर होता है।
- भारी वजन उठाना पाइल्स का एक प्रमुख कारण है।
- कब्ज की वजह से भी पाइल्स बीमारी होती है। कब्ज में मल सूखा और कठोर हो जाता है। जिसके कारण व्यक्ति को मल करने में दिक्कत आती है। काफी देर तक बैठे रहने के कारण वहां की रक्त वाहिनी या पर जोर पड़ता है। जिसके कारण वह फूल का लटक जाती है और उन्हें ही पाइल्स का मुझसे कहा जाता है।
- ज्यादा तला भुना और मिर्च मसाले युक्त भोजन भी पाइल्स का कारण बनता है।
- ठीक से शौच ना होना और फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना पाइल्स होने का कारण है।
- महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर अधिक दबाव पड़ने से भी पाइल्स का खतरा होता है।
- शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण धूम्रपान और शराब के कारण पाइल्स हो सकता है।
बवासीर के लक्षण
- गुदा से खून का स्राव होना
- मल करते समय चमकदार खून आना
- मल गुजरने में दिक्कत होना
- मल द्वार के पास सूजन होना
- गुदा के पास गांठ होना
- गुदा के पास खुजली होना
- मस्सों से खून रिसना
- ठीक से पेट साफ ना होना
बवासीर होने के घरेलू इलाज क्या है
बवासीर होने के कई तरह की घरेलू उपाय मौजूद हैं। जो निम्न प्रकार हैं।
हल्दी पाउडर और नारियल तेल
नारियल का तेल कई बीमारियों के इलाज के लिए अहम भूमिका निभाता है। नारियल के तेल में चुटकी भर हल्दी पाउडर मिलाकर बवासीर की जगह पर हल्के हाथों से या कॉटन से उस जगह पर लगाने पर इससे आपको गुदा के बाहरी हिस्से में होने वाले पल्स राहत मिलती है।
हल्दी और एलोवेरा जेल
एलोवेरा को उसकी ठंडी तासीर के लिए जाना जाता है। एलोवेरा जेल में हल्दी पाउडर मिलाकर रात में नियमित तौर पर सोने से पहले गुदा मार्ग के बवासीर वाली जगह पर लेप लगाने से राहत मिलती है। इसे कम से कम 2 हफ्ते तक लगातार करें।
देसी घी और हल्दी पाउडर
देसी घी अपने गुणों के लिए जाना जाता है। अगर आप नियमित रूप से देसी घी का सेवन करते हैं। तो कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। बवासीर की समस्या से निजात पाने के लिए देसी घी में चुटकी भर हल्दी मिलाकर मिश्रण तैयार करने बावसी वाली जगह पर नियमित रूप से लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर की दिक्कत से छुटकारा मिल जाता है।
हल्दी, बकरी का दूध और काला नमक
बवासीर में आराम पाने के लिए एक कप बकरी के दूध में एक चम्मच हल्दी और आधा चम्मच काला नमक मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें आपको इससे राहत मिलेगी।
नहाने के टब में हल्दी का उपाय
नहाने के टब दो चम्मच हल्दी मिला लें और उसमें 15 मिनट के लिए बैठे हैं। इससे आपको आराम मिलेगा।
बवासीर को कैसे रोके
- अपने मन को नरम रखने के लिए भरपूर मात्रा में फाइबर खाएं।
- खूब सारे पेय पदार्थ पिए।
- अपने तल को नम टॉयलेट पेपर से पोंछे।
- बवासीर में दर्द हो तो पेरासिटामोल ले।
- दर्द और खुजली को कम करने के लिए गर्म पानी से नहाए।
- असुविधा को कम करने के लिए तौलिए में लिपटी बर्फ का उपयोग करें।
- ढेर को धीरे से अंदर धकेलें ।
- अपने खुदा को साफ और सूखा रखें।
- नियमित व्यायाम करें। साथ ही बवासीर से बचने के लिए शराब और कैफीन, चाय ,कॉफी का सेवन करें।
बवासीर होने पर क्या नहीं खाना चाहिए
- तेल मसालेदार भोजन से परहेज करें। यह फूड पाचन को कमजोर करते हैं। और बवासीर की परेशानी को बढ़ाते हैं।
- नाश्ते में सफेद ब्रेड खाते हैं तो इसकी आदत बदल लें, सफर ब्रेड खतरनाक है।
- चाय कॉफी का अधिक सेवन न करें सिगरेट, गुटका से परहेज करें।
- प्रोसेस टू मीट का सेवन न करें। पॉलिश किए हुए चावल का सेवन ना करें ।
- अधिक डीप फ्राई खाना ना खाएं
- दूध लगातार दूध पीने की आदत से बचे हैं।
- कैफीन युक्त भोजन ना करें।
निष्कर्ष
बवासीर एक सामान्य बीमारी है। यह बीमारी पुरुष , महिला ,बच्चे किसी को भी भी सकती है। बवासीर छोटी बीमारी है। लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज ना किया जाए और एतियात ना बरता जाए तो यह घातक हो सकती है। पाइल्स को होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और एलोपैथिक उपचार से ठीक किया जा सकता है। गंभीर होने पर इसका ऑपरेशन भी होता है। हमने आपको इस आर्टिकल में पाइल्स से जुड़े कई महत्वपूर्ण बातें बताई है। उम्मीद है आपको पसंद आई होंगी।