viral fever in hindi :- वायरल बुखार बहुत तेज बुखार होता है। यह बुखार एयरबॉर्न वायरल संक्रमण से फैलता है। इसलिए इसे वायरल बुखार या वायरल फीवर के रूप में भी जाना जाता है। वायरल फीवर के वायरस गले में सुप्त अवस्था में रहते हैं।
ठंडे वातावरण में आने से, फ्रिज का ठंडा पानी पीने से या ठन्डे से गर्म पेय आदि पीने से ये वायरस सक्रिय हो जाता हैं। बच्चों और बुजुर्गों में वायरल बुखार काफी सामान्य है, क्योंकि यह उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। और यह बुखार सामान्य बुखार से थोड़ा अधिक गंभीर है। वायरल फीवर की सबसे खास बात यह है कि यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से और बहुत तेजी से फैलती है।
इसके अलावा बदलते मौसम के कारण हमारे शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है जो शरीर में बीमारियों को बढ़ावा देता है।
मौसम के तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण, मानव शरीर के तापमान में भी अंतर आता है। मौसम में अचानक आए इस बदलाव से कुछ लोगों का शरीर बर्दाश्त नहीं कर पाता है और वे इस दौरान बीमारीका शिकार बन जाते हैं।
जिन लोगो को viral fever या इम्यून सिस्टम वीक है तो उन लोगो को यह viral fever ke lakshan aur upchar का लेख पढ़ना चाहिए।
आगे हमने लेख में बताया है वायरल बुखार क्या है? वायरल बुखार के लक्षण, वायरल फीवर से बचाव और वायरल बुखार के घरेलू नुस्खे, तो अंत तक हमारे लेख को पूरा पढ़ें।
तो चलिए सबसे पहले जानते है वायरल फीवर में क्या होता है – viral fever kya hota hai
वायरल फीवर क्या है?
अक्सर जब मौसम में बदलाव के कारण हमारा शरीर पर्यावरण से प्रभावित होता है। तो उस दौरान कुछ लोगों को सिरदर्द, बदन दर्द, जोड़ों में दर्द के साथ हल्का या तेज बुखार हो जाता है। शरीर में लगातार अकड़न और दर्द रहने से शरीर बीमार हो जाता है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारा शरीर उस बदलते मौसम और वातावरण से आने वाली हवा को बर्दाश्त नहीं कर पाता है। इस तरह से शरीर का तापमान बढ़ने से हमें जो बुखार होता है उसे वायरल फीवर कहते हैं।
वायरल फीवर क्यों होता है?
वायरल फीवर उन लोगों को जल्दी हो सकता है जिनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। हालांकि वायरल फीवर भी 2-4 दिनों में अपने आप ठीक हो सकता है।
लेकिन कुछ मामलों में इसे गंभीर भी होता देखा गया है। इसीलिए वायरल फीवर के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
वायरल फीवर कितने दिन रहता है?
आमतौर पर यह बुखार 5 से 6 दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन इलाज के अभाव में यह 10-12 दिनों तक (viral fever kitne din rehta hai) भी रह सकता है।
वायरल फीवर से पीड़ित मरीज को पूरा आराम करने दें, खासकर तेज बुखार में उसे आराम करने देना चाहिए क्योंकि आराम कई बीमारियों को ठीक करने में मददगार साबित होता है। रोगी के छींकने से पहले नाक और मुंह पर रुमाल रखें क्योंकि यह वायरल होने पर दूसरों में वायरस नहीं फैलाएगा।
और इस बुखार में एंटीबायोटिक्स की कोई भूमिका नहीं होती है। इसलिए वायरल फीवर 5 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है। इस बुखार का उपचार लक्षणों के आधार पर किया जाता है, रोगी को पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन करना चाहिए।
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वायरल फीवर के लक्षण – symptoms of viral fever in hindi
ज्यादातर लोगों को होने वाला यह फीवर बहुत ही गंभीर भी हो सकता है। वायरल बुखार से बचने के लिए viral fever ke lakshan जानना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि जब तक बीमारी का पता नही लगता तब तक उसका इलाज संभव नही है।
इसी तरह वायरल बुखार के लक्षण भी होते है। जिसे देखकर आप पहचान सकते हैं कि जो आपको वायरल बुखार है भी या नहीं।
जब वायरल फीवर पहली स्टेज में होता है तो वायरल फीवर के लक्षण – गले में खराश, शरीर में थकान और गले में हल्का सा दर्द होता है।
आगे हमने viral bukhar ke lakshan और बताएं है उन्हें पढ़ना न भूले।
तो चलिए जानते है वायरल फीवर सिम्पटम्स – viral fever symptoms and treatment in hindi
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हाथ, पैर और जोड़ों में दर्द
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आँखों की लाली
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ठंड लगना और तेज बुखार
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गले में खराश, दर्द
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जुक़ाम इत्यादि
यह अन्य बुखारों की तरह ही होता है, लेकिन इस बुखार के आने पर खांसी-जुक़ाम, जोड़ों में दर्द, सूजन, थकान, गले में खराश, बार-बार नाक बहना और पूरे शरीर में बहुत तेज दर्द होता है।
लेकिन कुछ और सामान्य लक्षण भी होते हैं जिन पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है, जैसे भूख न लगना, लेटने के बाद उठने में कमजोरी महसूस होना, बहुत तेज सिरदर्द भी इसके लक्षण हैं, जिन्हें आप आसानी से पहचान सकते हैं।
वायरल फीवर के लक्षणों के साथ-साथ इसके कारणों को जानना भी बहुत जरूरी है और इसका फैलाव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के कारण होता है। यह वायरल फीवर शरीर को बिलकुल ही निचोड़ देता है। यदि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी और मजबूत हो तो यह रोग जल्दी नहीं होता है।
वायरल बुखार के अन्य लक्षण – viral fever symptoms in hindi
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गर्दन और पीठ पर दाने जैसे निशान दिखने लगते हैं। शरीर पर इन लाल धब्बों में खुजली होना बहुत आम बात है। सर्दी का मौसम हो या न हो, वायरल फीवर होने पर बहुत ठंड लगती है।
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गले में खराश के साथ-साथ गले में जलन और दर्द भी होता है जो असहनीय होता है।
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बुखार होने पर आंखें लाल हो जाती हैं और आंखों में बहुत जलन महसूस होती है। जिससे सोने में दिक्कत होती है और गले की ग्रंथियां सूज जाती हैं।
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भोजन करते समय भोजन काँटे की तरह चुभता है। ये सभी लक्षण वायरल फीवर के हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत इसका इलाज कराएं।
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वायरल बुखार होने के कारण – Causes of Viral Bukhar in Hindi
Viral bukhar के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं, वह इस प्रकार है।
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पहला कारण है लोगो की इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होती है, जिस कारण यह बुखार होता है।
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सही संतुलित आहार न खाने की वजह से वायरल बुखार होता है।
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दूषित जल या पदार्थ की वजह से भी यह बुखार हो सकता है।
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इसका एक कारण यह भी है कि किसी को वायरल बुखार हो उसकी वजह से भी आपको बुखार हो सकता है।
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दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म पदार्थ की वजह से भी यह बीमारी फैलती है।
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वायरल बुखार के घरेलू नुस्खे – viral bukhar ka gharelu upchar in Hindi
वायरल फीवर का इलाज बहुत ही आसान और सरल है। वायरल बुखार अक्सर सामान्य बुखार लगता है, इसलिए बुखार होने पर डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए ताकि पता चल सके कि वायरल बुखार है या नहीं।
आगे हमने viral bukhar ka gharelu upay बताएं है उन्हें पढ़ें न भूले।
तो चलिए जानते है वायरल फीवर के घरेलू उपचार –
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वायरल फीवर होने पर किशमिश (मुनक्का) और सूखे अंगूर खाएं। मुनक्का खाने से शरीर को ताकत मिलती है। इसलिए अगर आपको बुखार है तो मुनक्का का सेवन जरूर करें। किशमिश में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो आपके शरीर में मौजूद बुखार के वायरस को जड़ से खत्म करने में मददगार होते हैं।
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मुनक्का को अगर लहसुन के साथ मिला कर सेवन किया जाए तो ये भी वायरल फीवर में आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होता है। ऐसा इसीलिए होता है कि लहसुन आपके शरीर में गर्मी पैदा करता है।
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बुखार आने पर यह सुनिश्चित कर लें कि यह बुखार वायरल फीवर है या नहीं। यदि वायरल बुखार हो और शरीर का तापमान 103 डिग्री से अधिक हो तो सादे पानी में सूती कपड़े की पट्टी माथे पर लगाएं।
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जब आप माथे पर गीली पट्टियाँ लगाते हैं, तो यह शरीर के तापमान को तुरंत नियंत्रित करने का काम करती है। इससे तेज बुखार भी तुरंत उतर जाता है। बुखार होने पर पेरासिटामोल की एक-एक गोली सुबह, दोपहर और शाम रोगी को दें।
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मेथी के बीज में डायोसजेनिन, सैपोनिन और एल्कलॉइड जैसे औषधीय गुण होते हैं। इसलिए वायरल फीवर को मेथी के बीज के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है, लेकिन अगर इससे फायदा न हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
वायरल बुखार के अन्य घरेलू नुस्खे-
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बुखार होने पर तुलसी, अदरक और लौंग का काढ़ा बनाकर दिन में कम से कम दो से तीन बार रोगी को पिलायें। यह बुखार के वायरस को मार देगा। क्योंकि लौंग शरीर में गर्मी पैदा करेगी और तुलसी के एंटीबायोटिक गुण शरीर से वायरस को दूर करने में मदद करते हैं, इन सभी को चाय में मिलाकर रोजाना रोगी को दें।
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आयुर्वेद में धनिया के गुण बताए गए हैं। धनिया में कई एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। धनिया के पत्ते को चबाने से भी शरीर से बुखार के वायरस मर जाते हैं। लेकिन यहां हम आपको एक कानूनी सलाह देंगे, कुछ भी करने से पहले आप एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
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आधा चम्मच लौंग के पाउडर को एक लीटर पानी में करीब 20 ताजी और साफ तुलसी के पत्तियों के साथ उबाल लें, पानी को तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। इस काढ़े का सेवन हर दो घंटे में करें। आपका बुखार कुछ हद तक दूर हो जाएगा।
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अदरक भी बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें वायरल फीवर के लक्षणों को कम करने के लिए एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। वायरल बुखार को दूर करने के लिए सोंठ को शहद के साथ प्रयोग करना चाहिए। और इसे बनाने के लिए आपको एक कप पानी में दो मध्यम आकार के सूखे अदरक या सोंठ के टुकड़े उबालने हैं।
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और दूसरे उबाल में अदरक के साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को उबालना है, इससे वायरल बुखार में भी आराम मिलता है।
वायरल फीवर से बचाव के उपाय–
वायरल फीवर से बचाव के लिए यहां कुछ उपाय दिए गए हैं। अगर आप इन बातों का पालन करते हैं तो वायरल फीवर से काफी हद तक बचा जा सकता है।
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बारिश में भीगने से बचें, अगर आप भीग गए हैं तो घर के आकर साफ पानी से नहाएं।
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रोज रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीने की आदत डालें।
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सब्जियां बनाने से पहले उन्हें गर्म पानी में नमक डालकर धो लें।
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बारिश में भीगे हुए कपड़े ज्यादा देर तक न पहनें।
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ऐसे फल खाएं जिनका छिलका उतार कर खाया जाता है, जैसे केला।
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बाहर का जंक फूड खाने से बचें, खासकर चाट, बर्गर आदि
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गले में खराश होने पर गर्म पानी से गरारे करें।
वायरल फीवर में क्या खाएं-
वायरल फीवर में क्या खाएं- अगर आपको मौसम बदलते ही शरीर में कोई बदलाव नजर आता है। या फिर ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी दो लक्षण शरीर में दिखें तो देर न करें, क्योंकि यह एक जानलेवा बुखार भी हो सकता है।
इससे बचने के लिए अपने खान-पान का खास ख्याल रखें और अपनी खुराक में बदलाव करें। वायरल फीवर होने पर कुछ फल खाएं।
अगर आप वायरल फीवर से पीड़ित हैं। इसलिए घबराएं नहीं, क्योंकि वायरल फीवर का इलाज का तरीका भी बेहद आसान है। जल सभी रोगों को दूर करने में सबसे अधिक सहायक है क्योंकि जल अमृत के समान है।
वायरल फीवर होने पर जितना हो सके उतना पानी पिएं क्योंकि यह आपके गले में मौजूद खराश और सूजन को दूर करने में बहुत फायदेमंद होता है।
अगर आप वायरल फीवर के वायरस को दूर करना चाहते हैं तो आपको तुलसी के पत्तों से बनी चाय का सेवन करना चाहिए। और हो सके तो तुलसी के पत्तों को कच्चा चबाकर खाएं।
जिससे तुलसी का रस निकल जाता है और यह तुलसी का रस और तुलसी की चाय गले की समस्या और गले की सूजन को कम करती है, जो viral fiver को दूर करने में मदद करता है।
वायरल फीवर में क्या न खाएं–
ज्यादातर लोगों को जब वायरल फीवर होता है तो उन्हें खाने में स्वाद नही आता है। लेकिन बुखार को दूर करने के लिए आप उबली हुई सब्जियां खाएं।
बिना मिर्च और बिना मसाले वाला खाना खाएं। क्योंकि ज्यादा तले, भुने और मसालेदार भोजन को पचाने में काफी ऊर्जा लगती है। जो आपके पास वायरल बुखार के समय नहीं है।
वायरल फीवर शरीर की ऊर्जा को खत्म कर देता है, जिससे दस्त और उल्टी शुरू हो जाती है। इसलिए बिना मसालेदार और उबली सब्जियां ही खाएं।
हरी सब्जियों का सूप पिएं क्योंकि यह सूप आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व और प्रोटीन देता है। जिससे आपका इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता है। यह रोगों से लड़ने की शक्ति भी देता है।
इसिलए ऐसे खाने से बचे, और ऐसा खाना न खाएं जो तला-भुना, मसालेदार-चटपटा और ज्यादा ऑयली हो।
वायरल फीवर होने पर रखें इन बातों का ध्यान–
वायरल फीवर की स्थिति में यदि बुखार से शरीर का तापमान 102 डिग्री तक पहुंच जाए और कोई अन्य खतरनाक लक्षण न हों तो रोगी की घर पर ही देखभाल की जा सकती है। रोगी के शरीर पर सादे पानी की पट्टी थोड़े समय के लिए रखने से भी काफी हद तक आराम मिलता है। रोगी को हर छह घंटे में पैरासिटामोल की एक गोली दी जा सकती है।
अगर दो दिन तक बुखार कम नहीं होता है तो मरीज को डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं। और अपने आसपास साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। अगर मरीज वायरल है तो उससे दूरी बनाकर रखें और मरीज द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीजों का भूलकर भी इस्तेमाल न करें, क्योंकि उसमें बीमारी के वायरस मौजूद हो सकते हैं।
याद रखें, आपको केवल पैरासिटामोल टैबलेट या कोई अन्य दवा देने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
बुखार होने पर रोगी को ज्यादा काम नहीं करने देना चाहिए। इसे जितना हो सके आराम करने दें।
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निष्कर्ष – Conclusion
वायरल फीवर बहुत तेजी से फैलता है और वायरल फीवर बच्चों और शिशुओं में ज्यादा दर्दनाक होता है। इससे वे पीले और सुस्त हो जाते हैं। सांस लेने और स्तनपान कराने में कठिनाई के साथ उन्हें उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। और यह उनका जानलेवा बुखार है।
इसके अलावा बच्चों में निमोनिया, लैरींगाइटिस और ओटिटिस जैसी जटिलताएं भी पैदा हो जाती हैं। वायरल बुखार किसी भी अन्य बीमारी के साथ मिलकर रोगी की स्थिति को और खराब कर देता है। और यह कई बीमारियों का कारण बनता है।
इसिलए वायरल बुखार होने पर सबसे पहले अपने नजदीकी डॉक्टर के पास जाएँ।
आशा करता हूँ की अब आप bukhar dur karne ka gharelu upay जान गए होंगे। अगर यह bukhar ka gharelu upay किसी को हो जाये तो उसे हमारे बताएं गए इलाज पर ध्यान देना चाहिए ।
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