Pregnancy in Hindi: इस सृष्टि को बनाने वाले ने animals के साथ मनुष्यों को भी उतारा, साथ ही मनुष्य के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए एक सिस्टम तैयार किया।
इस सिस्टम के अंतर्गत ही बच्चों का जन्म और बूढ़े लोगों की मृत्यु तय की जाती है। इसी सिस्टम के माध्यम से ब्रह्माण्ड में हज़ारों सालों से मनुष्य का अस्तित्व बना हुआ है। यहां मनुष्य के जन्म लेने का भी एक सिस्टम है जो एक प्रक्रिया के बाद पूरा होता है।
बच्चे के जन्म से पहले एक लम्बा समय गर्भावस्था यानी pregnancy का होता है। बच्चे के जन्म के लिए ज़रूरी होता है की प्रेग्नेंसी और इस दौरान घटने वाली चीजों की पूरी जानकारी बच्चे के माता-पिता को हो।
pregnancy से जुड़ी कई बातें (pregnancy in hindi information) होती है जो सामान्यतः लोगो की जानकारी में नही होती है और तरह तरह के सवाल पूछे जाते हैं जिससे की भ्रम की स्तिथि बनी रहती है। इस दौरान जानकारी के अभाव में सही इलाज न हो पाने का कारण वह घबरा जाते हैं। लेकिन हम इस आर्टिकल में इन्ही कुछ बातों को बताएंगे जिससे की Pregnancy से संबंधित बातों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।
तो आइये जानते है बड़ी ही आसान भाषा में गर्भ धारण (Garbh Dharan in Hindi)
प्रेग्नेंसी क्या है? – What is Pregnancy in Hindi Meaning
प्रेग्नेंसी यानी गर्भावस्था एक प्रक्रिया है। इस दौरान महिला के गर्भ में शिशु का विकास होता है। इस दौरान गर्भ में एक या एक से अधिक शिशु भी हो सकते हैं लेकिन सामान्यतः एक बार में एक ही शिशु होता है।
कुछ मामलों में 2 या दो से अधिक शिशु भी एक साथ गर्भ में पलते हैं। यह भी एक सामान्य प्रक्रिया है। प्रेग्नेंसी महिला और पुरुष के बीच बने यौन संबंधो के बाद होता है जो की महिला के ओवरी से निकलने वाले अंडे और पुरुष के स्पर्म के मिलने से होता है। महिलाओं में अंडे का निर्माण पीरियड्स के 14 वें दिन होता है। स्पर्म और अंडे के मिलने के बाद ही प्रेग्नेंसी शुरू हो जाती है।
प्रेग्नेंसी की प्रक्रिया लगभग 40 हफ्ते यानी लगभग 9 महीने का होता है। इस 9 महीने के दौरान भ्रूण पूर्ण रूप से विकसित हो चुका होता है। इन 9 महीने के शुरुआती 8 हफ्ते में शिशु का निर्माण हो जाता है।
8 हफ्ते के बाद गर्भ में पल रहे भ्रूण को फिट्स के नाम से जाना जाता है। 8वें हफ्ते से ले कर जन्म लेने तक के समय तक पल रहे शिशु को मेडिकल टर्म में फिट्स ही कहा जाता है।
8 हफ्ते के बाद शिशु के अन्य अंग विकसित होने शुरू हो जाते हैं जो की लगभग 38 से 40 हफ्ते में पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान शुरुआती लक्षणों में पीरियड्स का न होना, ब्रेस्ट के आकर में बदलाव एवं तनाव, चक्कर आना , उल्टी आना , भूख लगना और बार बार मूत्र आना होता है।
प्रेग्नेंसी को तीन समय अंतराल में बांटा गया है – Pregnancy Cycle in Hindi
पहला अंतराल, पहले हफ्ते से लेकर 12वें हफ्ते तक का होता है। इसके आरंभिक दौर में fertilization होता है। fertilization के बाद Fertilized Eggs Fallopian Tube के द्वारा Utrus तक पहुंच जाते हैं। यहीं पर भ्रूण का और placenta का विकास शुरू हो जाता है। पहले 1 से 12 वें हफ्ते में ही गर्भपात (Miscarriage) की भी अधिक संभवना होती है।
प्रेग्नेंसी का दूसरा अंतराल, 13वें हफ्ते से लेकर 28वें हफ्ते का होता है। इस अंतराल में गर्भ में पल रहे शिशु के मूवमेंट को महसूस किया जा सकता है। इस 13 से 28वें हफ्ते तक शिशु इस हद तक विकास कर चुका होता है की अगर किसी कारण शिशु को गर्भ से बाहर निकालना परे तो 90% केस में शिशु उच्य मेडिकल देख रेख में ज़िंदा रह सकता है।
प्रेग्नेंसी का तीसरा यानी आखरी अंतराल, 29वे हफ्ते से ले कर 40वें हफ्ते तक होता है। इस दौरान शिशु पूर्ण रूप से विकास कर चुका होता है और जन्म के बाद आरंभिक आवश्यक चिकित्सीय देख रेख के बाद सामान्य वातावरण में घरेलू देख रेख में रह सकता है।
इस तीनो समय अंतराल में ही गर्भवती महिलाओं को कुछ बदलाव का भी सामना करना होता है। इन बदलाव में शारीरिक और हार्मोनल बदलाव शामिल होते हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ और चीज़ों से गुज़रना होता है जिसमे पीरियड्स का न होना, पेट में दर्द होना इत्यादि शामिल हैं। इस लेख में आगे इन मुद्दों की भी चर्चा की गयी है।
प्रेग्नेंसी के दौरान पीरियड्स – Kya Pregnancy me periods hote hai?
खास कर पहली बार बच्चे की प्लानिंग करने वाली महिलाओं में इस बात को लेकर confusion की स्तिथि बनी रहती है की क्या गर्भावस्था के दौरान भी मासिक चक्र यानी पीरियड्स आते है।
क्या प्रेग्नेंसी के दौरान पीरियड्स होते हैं ? इस सवाल का सीधा जवाब है की प्रेग्नेंसी के दौरान पीरियड्स नही होते है। (pregnancy ke doran periods nhi hote hai) इस दौरान पीरियड्स का कोई सवाल ही नही है क्यों की पीरियड्स का रुकना महिला के प्रेग्नेंट होने के शुरुआती लक्षणों मे से एक है।
पीरियड्स के दौरान अंडे का निर्माण होता है लेकिन जब अंडे निषेचित हो चुके होते हैं तो इस स्तिथि में प्रेग्नेंट रहते और अंडे के निर्माण का सवाल ही नही है।
कुछ मामलो में ये बातें सामने आई है की कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान भी पीरियड्स जैसी ही खून आते हैं। ध्यान देने वाली बात ये है की इस दौरान खून आ सकते हैं लेकिन यह पीरियड्स के खून नही होते है।
pregnancy के दौरान खून आने के कई और दूसरे कारण हो सकते हैं। खून आने के मुख्य कारण बच्चे का गर्भ में सही स्तिथि में नही होना, uterus के बाहर ही गर्भ का पलना शुरू हो जाना हो सकता है जिसे Ectopic pregnancy के नाम से जाना जाता है। प्रेग्नेंसी में खून आना गर्भावस्था के शुरुआती समय मे ही गर्भपात की स्तिथि उतपन्न होने की निशानी भी हो सकती है।
प्रेग्नेंसी टेस्ट कब करें?- Pregnancy test kitne din baad kare in hindi
कुछ मामलों में देखा जाता है की गर्भ ठहरने के कुछ समय बाद तक महिलाओं को इस बात का एहसास नही हो पाता है। साथ ही यह सवाल मन में बना रहता है की pregnancy test kitne din me kare in hindi, इस सवाल का जवाब ये है अगर आप बच्चे का प्लान कर रहे हैं तो जैसे ही पहली बार पीरियड न आए, तो प्रेग्नेंसी टेस्ट करना बेहतर होता है। इसके अलावा शारीरिक संबंध के 3 हफ्ते बाद भी टेस्ट किया जा सकता है।
3 हफ्ते बाद गर्भ ठहरने की स्तिथि का पता लगाया जा सकता है। कुछ मामलों में सेक्स के 10 दिन बाद ही HCG नामक हार्मोन पाए जा सकते हैं। ऐसे में प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद भी इस बात की संभावना रहेगी के गर्भ ठहरा ही न हो, इसलिए सेक्स के 3 हफ्ते बाद भी टेस्ट करना चाहिए ताकि वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकें।
वैसे तो Pregnancy test kit price in india, अक्सर लोगो के द्वारा पूछे जाते है। में आपको बताता हूँ की प्रेग्नेंसी टेस्ट के यंत्र सस्ते होते हैं और यह आसानी से दुकानों में उपलब्ध होते है।
अब बात आती है Pregnancy test kit को use कैसे किया जाएँ।
प्रेगनेंसी टेस्ट किट को कैसे इस्तेमाल करें – Pregnancy test kit use in hindi
प्रेग्नेंसी टेस्ट कीट शरीर में मौजूद हॉर्मोन के आधार पर ही प्रेग्नेंट होने या न होने पर फैसला करता है।
प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के लिए टेस्ट कीट पर मूत्र के कुछ बूंद डालने पर पता चल जाता है की प्रेगनेंट है या नही।
जब मूत्र टेस्ट कीट पर डाला जाता है तो मूत्र में मौजूद HCG नामक हार्मोन की मौजदगी को जांचता है। HCG एक खास हार्मोन होता है जो की महिलाओं में गर्भ धारण करते ही बनने लगता है।
ऐसे में जब मूत्र टेस्ट कीट पर डाला जाता है तो HCG की मौजूदगी का पता लगा कर आसानी से पता लगाया जा सकता है की महिला गर्भवती है या नही। प्रेग्नेंसी कीट द्वारा प्रेग्नेंट होने या न होने की पुष्टि कितनी सच है इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की 100 बार टेस्ट करने पर 99 बार आया रिज़ल्ट सही होता है। ऐसे में कीट की प्रमाणिकता काफी हद तक सही है।
प्रेगनेंसी टेस्ट के लिए वीडियो – pregnancy test kitne din me kare in hindi video
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प्रेग्नेंट न होने की वजह – Pregnancy na hone ki waja kya ho skti hai
कुछ लोग बच्चे के लिये प्लान कर रहे होते हैं, लेकिन चीज़े उनके अनुसार नही चल पाती है, जिसका नतीजा होता है की उनकी इन उम्मीदों को झटका लगता है। प्रेग्नेंट न होने की काफी सारी वजह हो सकती है। प्रेग्नेंट न होने के पीछे ज़रूरी नही है की हर वक़्त महिला ही ज़िम्मेदार हो, इसमें महिला की भी कुछ स्थिति हो सकती है या पुरुष की भी कुछ दिक्कतें हो सकती हैं।
Pregnant na hone ke karna में महिलाओं में अंडे का न बनना या अनियमित रूप से बनना, बच्चे के जन्म या गर्भ के ठहरने के लिए ज़रूरी शारीरिक अंगों का महिलाओं में अनियमित रूप से न बनना भी हो सकता है।
पीरियड्स का अनियमित रूप से आना या पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक करैंप (दर्द) का होना हो सकता है। इसके अलावा pregnancy na hone ke karan उसके पार्टनर यानी पुरुष में स्पर्म की संख्या में कमी या पुरुषों का बांझपन होना भी हो सकता है। इसके अलावा भी कुछ मेडिकल कन्डीशन हो सकते हैं जिसकी वजह से गर्भ नही ठहर रहा हो। pregnant na hone ki waja को देखें तो निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।
प्रेग्नेंट ना होने की हो सकती है ये वजह –
गर्भ के ठहरने के लिए यह बात काफी मायने रखता है की आप कितने समय से इसके लिए कोशिश कर रहे हैं। आंकड़ो के अनुसार 80 प्रतिशत जोड़ें शुरुआती 6 महीनो की कोशिश के बाद ही गर्भ धारण करने में कामयाब हो जाते हैं लेकिन कुछ मामलों में 12 महिने का समय भी लग जाता है। 12 महीने की कोशिश में 90 प्रतिशत इस बात की संभावना होती है की गर्भ ठहर जाएगा। इस दौरान ज़रूरी है की हर महीने सही समय पर संबंध बनाया जाए ताकि गर्भ ठहर सके।
महिलाओं के 35 साल से अधिक उम्र होने पर गर्भ धारण करने में दिक्कत हो सकती है ऐसे में अगर उम्र 35 साल से ज़्यादा हो और गर्भ धारण की कोशिश कम से कम पिछले 1 साल से कर रही हों फिर भी कामयाबी नही मिल पा रही हो तो इस स्तिथि में डॉक्टर से ज़रूर सलहा लेनी चाहिए।
प्रेग्नेंट न होने का एक मुख्य कारण महिलाओं में अंडों का नही बनना हो सकता है । मानव में सन्तान की उपत्ति के लिए अंडे और स्पर्म की आवश्यकता होती है। अंडे का निर्माण महिलाएं में होता है जिसे एवोलुशन प्रक्रिया के नाम से जाना जाता है। एवोलुशन का न होना प्रेंग्नेंट न होने का कारण बनता है।
एवोलुशन के न होने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें Polycystic ovarian syndrome (PCOS) मुख्य कारण हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंट न होने का कारण महिला का अधिक वज़नदार होना या काफी कम वज़न होना भी होता है। थायरॉइड की समस्या होना भी इसका एक मुख्य कारण है। हाइपर प्रो लेकिमिया एक मेडिकल कन्डीशन है। इस स्थिति में भी गर्भधारण करने में काफी समस्या होती है।
ज़रूरत से अधिक व्यायाम (एक्सरसाइज़) करने वाली महिलाओं में भी देखा गया है की उन्हें प्रेग्नेंट होने में काफी समस्या होती है।
पुरुष भी जिम्मेदार होते है महिलाओं को प्रेग्नेंट करने में
जैसा की ऊपर लिखा गया है की महिला के प्रेग्नेंट न होने के पीछे ज़रूरी नही है की हर समय कमी महिलाओं में ही हो इसलिए इस बात का पता लगाना ज़रूरी है की समस्या महिला में है या पुरुष में। पुरुष में स्पर्म का कम बनना या स्पर्म का कम गुनवत्ते का होना भी प्रेग्नेंसी में बाधक होता है। इस बात के निर्धारण के लिए पुरुष के सीमन का जांच अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए जिससे की प्रेग्नेंट न होने के कारण का सटीक रूप से पता लगा कर इलाज किया जा सके।
आंकड़ो के अनुसार लगभग 30 प्रतिशत मामलों में महिला के प्रेग्नेंट न होने के पीछे समस्या पुरुषों में देखा गया है जबकि 40 प्रतिशत मामलों में दोनो में कुछ समस्या की वजह से प्रेग्नेंसी में दिक्कत होती है।
सन्तान प्राप्ति के लिए ज़रूरी है की सही समय पर कोशिशे की जाए अन्यथा उम्र बढ़ने पर प्रेग्नेंट होने में कुछ समस्या हो सकती है । महिलाओं की उम्र जब 35 साल से अधिक और पुरुष की उम्र 40 से अधिक हो जाए तो गर्भधारण करने में कुछ समस्या हो सकती है।
महिला के 35 साल से अधिक हो जाने पर पीरियड अनियमित रूप से आने लगते हैं साथ ही अंडे की संख्या कम हो जाती है और अंडे की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है जिस कारण गर्भधारण करने में कुछ समस्या हो सकती है। पुरुष में स्पर्म हमेशा बनता रहता है लेकिन आमतौर पर 40 साल के बाद कुछ स्पर्म की संख्या में कुछ कमी आ जाती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
अब आपको pregnancy in hindi से जुड़ी सारी जानकारियां हिंदी में मिल गयी होंगी। आने वाले दिनों में, हम गर्भावस्था से जुड़ी कुछ और बातें बताएंगे, जिन्हें पढ़ने के बाद आपको गर्भावस्था से जुड़ी बातों के बारे में पता चलेगा, इसलिए तब तक हमारे साथ बने रहें।
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