नौ महीने पेट में रखने और असहनीय प्रसव (Delivery) पीड़ा झेलने के बाद जब बच्चा माँ की गोद में आता है, तो माँ की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है। यह एक माँ के जीवन का सबसे खूबसूरत पल और सबसे खुशनुमा एहसास होता है।
बच्चे की किलकारियां सुनकर मां खुशी से हंसने लगती है। मां बनने के बाद एक महिला को खुशी के साथ-साथ कई जिम्मेदारियां भी मिलती हैं।
जो महिलाएं पहली बार मां बनती हैं, उन्हें नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें, इसकी कोई जानकारी नहीं होती है। ऐसे में उसे एक अच्छी मां की सारी जिम्मेदारियां निभाने में थोड़ी दिक्कत होती है। छोटे बच्चे को गोद में कैसे लें, नवजात शिशु की मालिश कैसे करें, शिशु को कैसे नहलाएं, कुछ ऐसी जिम्मेदारियां हैं, जिन्हें बहुत सावधानी से निभाना होता है। जब तक बच्चा पांच साल का नहीं हो जाता, तब तक इन सब चीजों को करने में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है।
अगर आप पहली बार मां बनी हैं और आपको इस बात का अंदाजा नहीं है कि अपने navjat shishu ki dekhbhal kaise karen, तो आपको आज का हमारा यह बच्चे की देखभाल कैसे करें, संबंधी लेख पढ़ना चाहिए। इस पोस्ट में हम आपको छोटे और नवजात शिशुओं की देखभाल के कुछ आसान और सुरक्षित तरीकों के बारे में बताएँगे, तो अंत तक हमारे लेख को पढ़ें।
आइए जानते हैं नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए कुछ टिप्स।
प्रसव के बाद नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें?
पहली बार बनी माताएं अक्सर यह जानना चाहती है कि नवजात शिशु की देखभाल कैसे करनी चाहिए? क्योंकि पहली बार बच्चे को जन्म देने तक उसे बेबी केयर का कोई अनुभव नहीं होता है। और नवजात शिशु की देखभाल करना बहुत ही सावधानी का काम है। इसलिए इसके बारे में जानकारी होना आवश्यक है।
आइए जानते हैं नवजात शिशु की देखभाल के लिए जरूरी 8 बेबी केयर टिप्स के बारे में।
1. नवजात शिशु को कैसे पकड़ें?
Navjat Shishu को पकड़ते और संभालते समय बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। बच्चे को गोद में इस तरह ले जाएं कि बच्चे का सिर और गर्दन आपके हाथ के ठीक नीचे रहे। बच्चे को गोद लेते समय गर्दन और सिर को सही सहारा मिलना बहुत जरूरी है। अगर बच्चे को सही तरीके से नहीं पकड़ा जाता है या उसकी गर्दन और सिर को पूरा सहारा नहीं दिया जाता है, तो बच्चे की गर्दन को झटका लग सकता है। ऐसे में बच्चे को बेहद सावधानी से गोद में रखना चाहिए।
2. नवजात शिशु को गोद में कैसे ले?
जब बच्चे का जन्म होता है तो बच्चे की त्वचा बहुत ही नाजुक और कोमल होती है इसलिए कई बार बच्चे को गोद में लेना थोड़ा डरावना होता है। आपको ऐसा लगता है कि अगर आप बच्चे को गोद में उठाएंगे तो दिक्कत होगी, लेकिन घबराएं नहीं। बच्चे को गोद में लेने का सही तरीका अपनाये।
छोटे बच्चों को संक्रमण जल्दी हो जाता है। ऐसे में आप अपने बच्चे को गोद में लेने से पहले अपने हाथों को एंटी-सेप्टिक सैनिटाइजर लिक्विड से धोएं। जिससे आपके हाथ में मौजूद सभी बैक्टीरिया नष्ट हो जाएंगे और आपके बच्चे को किसी भी तरह के संक्रमण का खतरा नहीं होगा।
बच्चे के सिर और गर्दन को सहारा देते हुए बच्चे को गोद में उठाएं। एक हाथ बच्चे के पैरों के नीचे और दूसरा हाथ बच्चे के सिर और गर्दन के नीचे रखें। इस तरह से पकड़ने से बच्चे के पूरे शरीर को आराम मिलेगा और बच्चे को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
3. नवजात शिशु को कैसे सुलाएं?
नवजात शिशु को भरपूर आराम की जरूरत होती है। 3 महीने का बच्चा 18 से 20 घंटे तक सो सकता है। 3 महीने के बाद बच्चों की नींद 8 से 10 घंटे की सामान्य हो जाती है।
भले ही आपका शिशु लंबे समय से सो रहा हो, फिर भी आपको अपने बच्चे को तीन से चार घंटे के अंतराल पर स्तनपान कराना चाहिए। नवजात शिशु बोल नहीं सकता, ऐसे में यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप समय-समय पर बच्चे को स्तनपान कराएं, ताकि बच्चे का पेट भरा रहे और वह आराम से सो सके।
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बच्चे के सिर के नीचे हल्का और मुलायम तकिया रखें। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को ज्यादा देर तक एक ही सिर की साइड में रखकर नहीं सोना चाहिए। लंबे समय तक एक ही करवट लेकर सोने से शिशु के सिर के आकार में समस्या हो सकती है। इसके साथ ही बच्चे को SIDS का भी खतरा हो सकता है। कुछ समय बाद शिशु के सिर की स्थिति को आप बदलते रहें।
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नवजात शिशु को रात और दिन का कोई पता नहीं होता है। ऐसे में कई बच्चे दिन भर सोते हैं और रात को जागते हैं। बच्चे के रात में जागने से माता-पिता को काफी परेशानी होती है और साथ ही रात में जागना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। अगर आपका बच्चा दिन में बहुत ज्यादा सोता है, तो दिन में उसे हल्का सा थपथपाकर जगाएं। बच्चे से बात करें, बच्चे के साथ खेलें ऐसा करने से बच्चा दिन में कम सोएगा, जिससे बच्चे को रात में अच्छी और गहरी नींद आएगी।
4. नवजात शिशु को स्तनपान कैसे कराएं?
शिशु को जन्म के बाद 6 महीने तक मां का दूध पीना चाहिए। बच्चे के विकास के लिए मां का दूध सबसे संतुलित और पौष्टिक आहार माना जाता है। मां के दूध में सभी तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो बच्चे के विकास के लिए बेहद जरूरी होते हैं। आजकल महिलाएं ब्रेस्टफीड कराना पसंद नहीं करती हैं, जिससे बच्चे के शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसलिए नवजात से लेकर 6 महीने तक के बच्चों को मां का दूध जरूर पीना चाहिए।
बच्चे को स्तनपान कैसे कराएं? –
- स्तनपान कराने के लिए, बच्चे को अपनी दोनों बाहों के माध्यम से अपनी गोद में उठाएं और बच्चे को अपने पास लाएं। बच्चे को अपने स्तन के निप्पल से बच्चे के होठों तक दूध पिलायें।
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यदि आपका शिशु आपका दूध पीता है, तो आपको अपने खाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्तनपान के दौरान सीधे तौर पर कुछ भी न खाएं। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दाल और पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। इससे आपके ब्रेस्ट में ज्यादा दूध बनेगा, जिससे आपके बच्चे का पेट भरेगा।
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कई बार डिलीवरी के बाद महिलाओं के ब्रेस्ट में दूध नहीं आता है। अगर ब्रेस्ट में दूध नहीं आता है तो घबराएं नहीं और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अपने आहार में पोषक तत्वों को शामिल करें। ऐसा करने से एक-दो दिन में ही आपके स्तनों में दूध आना शुरू हो जाएगा।
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स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने स्तनों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। रोज नहाते समय स्तनों को अच्छी तरह साफ करें। और बच्चे को दूध पिलाने के बाद भी स्तनों को अच्छी तरह साफ करें।
5. शिशु को बोतल से दूध कैसे पिलाएं?
बच्चों को जन्म के बाद 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए, लेकिन कभी-कभी मां के स्तनों से दूध की कमी या किसी अन्य कारण से बच्चे को बोतल में दूध पीना पड़ता है। पाउडर वाला दूध बनाने से पहले इसकी सही मात्रा और बनाने के सही तरीके के बारे में जानकारी होनी चाहिए। अगर आपके स्तनों में दूध है तो इसे दूध निकालने वाले उपकरणो से दूध निकाले। गलत बोतल से दूध पिलाने से बच्चे को परेशानी हो सकती है। बोतल से दूध पिलाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बच्चे को बोतल से दूध पिलाना कैसे सिखाएं? –
- सबसे पहले बोतल को गर्म पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। गर्म पानी बोतल को अच्छी तरह साफ करता है। बोतल की सफाई न करना और गलत मात्रा में दूध वाले पाउडर का इस्तेमाल आपके बच्चे को बीमार कर सकता है।
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जब बच्चे को भूख लगे तो बच्चे को बोतल से दूध पिलाएं। छोटे बच्चे बोल नहीं सकते इसलिए जब उन्हें भूख लगे तो आपको इस पर ध्यान देना चाहिए। अगर आपको यह बात समझ में नहीं आती है तो भी तीन-चार घंटे बाद बच्चे को बोतल से दूध पिलाते रहें।
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दोबारा वही दूध न पिलायें। जब भी बच्चे को बोतल से दूध पिलाना हो तो नया दूध निकाले या बनाये। फ्रीजर में रखा हुआ ठंडा दूध बच्चे को न दें।
6. शिशु को डायपर पहनाने के तरीके –
आप बच्चे को चाहे कपड़े का डायपर पहनाये या डिस्पोजेबल डायपर, यह आप पर निर्भर करता है। लेकिन आपको शिशु की उचित देखभाल करने और डायपर पहनाने का सही तरीका पता होना चाहिए। सही समय पर डायपर न बदलने और साफ-सफाई न रखने से बच्चे को कई तरह की परेशानी होने लगती है।
अगर आप अपने बच्चे को डिस्पोजेबल डायपर पहना रही हैं, तो आपको हर तीन से चार घंटे में डिस्पोजेबल डायपर बदलते रहना चाहिए। डायपर न बदलने से डायपर में पेशाब भर जाएगा, जिससे बच्चे को संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यदि बच्चे का पेट खराब है, तो डायपर को जल्द से जल्द बदल देना चाहिए।
अगर आप कपड़े के डायपर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए यह डायपर पूरी तरह से साफ होना चाहिए। कपड़े के डायपर को संक्रमण से बचाने के लिए उसे गर्म पानी में एंटी सेप्टिक लिक्विड मिलाकर साफ करना चाहिए। डायपर हर तीन घंटे में बदलना चाहिए, और डायपर डालने से पहले बच्चे को जैतून के तेल से मालिश करनी चाहिए।
7. नवजात शिशु को कैसे नहलाएं?
बच्चे के जन्म के एक हफ्ते बाद तक बच्चे को हल्के हाथों से साफ सूती कपड़े से पोंछ कर बच्चे के शरीर को साफ करें। बच्चे की गर्भनाल को सुखाने के बाद हफ्ते में दो से तीन बार बच्चे को नहलाएं। गर्भ से ही बच्चा गर्भनाल के साथ आता है। इसे जन्म के बाद काटा जाता है और इसके घाव को सूखने में समय लगता है।
नवजात शिशु को नहलाने का तरीका –
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बच्चे को नहलाने के लिए ज्यादा गर्म और ठंडे पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बच्चे को नहलाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही बच्चे के कानों को नहलाते समय दोनों हाथों से उन्हें बंद कर दें, ताकि पानी बच्चे के कानों में न जाए।
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नहाने के तुरंत बाद बच्चे को एक साफ कपड़े में लपेट कर बच्चे के शरीर को पोंछ दें और तुरंत बच्चे को कपड़े पहनाएं। ध्यान रहे कि बच्चे को ज्यादा देर तक बिना कपड़ों के न रखें और बच्चे के शरीर को पोंछने के लिए मुलायम तौलिये का इस्तेमाल करें।
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बच्चे को नहलाने के लिए माइल्ड क्रीम साबुन या शैम्पू का ही इस्तेमाल करें।
8. नवजात शिशु की मालिश कब करें?
आप शिशु के जन्म के कुछ सप्ताह बाद मालिश शुरू कर सकती हैं, लेकिन हमेशा यह सुनिश्चित करें कि मालिश करते समय शिशु सहज महसूस करे। क्योंकि अगर बच्चा सहज महसूस नहीं करेगा तो बच्चा शांत नहीं होगा।
और बच्चा शांत नहीं रहेगा तो वह घर सर पर उठा लेगा। इसीलिए मालिश करते समय शिशु को सहज महसूस कराएं और शिशु के मूड का विशेष ध्यान रखें।
नवजात शिशु को डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आप अपने बच्चे का अच्छा स्वास्थ्य चाहते हैं और बच्चे को हर बीमारी से बचाना चाहते हैं तो अपने बच्चे को जन्म के बाद एक साल तक हर महीने एक से दो बार डॉक्टर को दिखाते रहें। अगर आपको अपने शिशु में कोई अजीब हरकत दिखाई देती है, तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल –
1 महीने के शिशु की देखभाल कैसे करें?
अगर आप पहली बार माँ बनी हैं, तो इन टिप्स का फायदा उठाएं।
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मालिश करे
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ध्यान से नहलाए
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आराम से सुलाएं
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रोने पर घबराएं नहीं
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स्तनपान कराएं
अधिक जानने के लिए ऊपर दिया गया लेख पढ़ें।
2 महीने के शिशु की देखभाल कैसे करें?
2 महीने के बच्चे की देखभाल करने के लिए अपनाएं ये टिप्स –
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बार-बार पिलायें दूध
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बच्चों के सोने के शेड्यूल को समझें
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टीकाकरण का रखें पूरा ध्यान
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शिशु से करें बात
अधिक जानने के लिए ऊपर दिया गया लेख पढ़ें।
3 महीने के शिशु की देखभाल कैसे करें?
3 महीने के बच्चे की देखभाल करने के लिए अपनाएं ये टिप्स –
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बच्चे को 7 से 9 बार ब्रेस्ट फीड कराएं
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इस बात का ध्यान रखें कि आपका शिशु कब भूखा है और कब सोता है।
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सुनिश्चित करें कि आपका शिशु हर समय सुरक्षित है।
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उन्ह अकेले रोता न छोड़ें
निष्कर्ष
इस पोस्ट में आपने नवजात शिशु की देखभाल के घरेलू तरीकों के बारे में जाना। अगर आप मां बनने वाली हैं या मां बन चुकी हैं तो आपको बच्चे की देखभाल कैसे करनी है, इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। आपको हमारी ये पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं।
अगर आप इस पोस्ट के बारे में कोई सवाल पूछना चाहते हैं, या किसी अन्य विषय पर हमसे जानकारी चाहते हैं, तो आप हमें इसके बारे में कमेंट करके भी बता सकते हैं।
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