—Kapalbhati Pranayama—
योग और प्राणायाम न सिर्फ रोगों को दूर करने में सहायक है बल्कि एक स्वस्थ जीवन शैली जीवन जीने में भी मदद करता है।
योग के अंदर बहुत सारे प्राणायाम आते हैं लेकिन आज हम जिस पर प्राणायाम की बात करने जा रहे हैं उसका नाम है कपालभाति।
कपालभाति संस्कृत भाषा का शब्द है जो दो शब्दों से बना है कपाल + भांति। कपाल का अर्थ होता है ‘ललाट’ और भांति का अर्थ होता है ‘प्रकाश’
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Toggleकपालभाति प्राणायाम (Importance of Kapalbhati Pranayama)
किसी भी स्वस्थ और तंदुरस्त व्यक्ति को उसके हंसते-खेलते चेहरे से पहचाना जा सकता है। इसका मतलब यह हो जाता है वह हर रोज Kapalbhati Pranayama करता है। कपालभाति प्राणायाम करने से शरीर से 80% विषैले तत्त्व (Toxic elements) बहार निकल जाते है।
कपालभाति प्राणायाम की उचित स्पष्टीकरण है “मस्तक या सिर” यानि उसके चमकते हुए चेहरे और मस्तक पर खिलखिलाहट है। यह तभी संभव है जब आप कपालभाति प्राणायाम का हर रोज अभ्यास करते है।
“मस्तक या सिर” यानि चमकते हुए चेहरे और मस्तक से मतलब है अंदर से आपकी बुद्धि और आत्मा को स्वच्छ रखना।
कपालभाति करने के नियम (Rules of Kapalbhati Pranayama)
- कपालभाति प्राणायाम का सबसे पहला नियम है कि सुबह चमकते हुए वातावरण और शुद्ध वायु में कपालभाति प्राणायाम किया जाए।
कपालभाति प्राणायाम का दूसरा नियम है कि इसे फ्रेश और खाली पेट किया जाना चाहिए।
कपालभाती का सबसे महत्वपूर्ण नियम है कि मन और बुद्धि को शांत रखें और शरीर को तनाव से मुक्त रखने की कोशिश करे।
शुरुआत के समय हल्के व्यायाम के साथ शुरू करें फिर बाद में इसे अपनी क्षमता के अनुसार करें।
योग अथवा प्राणायाम करने के तुरंत बाद खाना ना खाएं लगभग एक से डेढ़ घंटे बाद ही भोजन करें।
क्या कपालभाति प्राणायाम शाम को भी कर सकते हैं ?(Can Kapalbhati do evenings)
प्राणायाम कभी भी किसी भी समय किया जा सकता है। यह केवल आप पर ही निर्भर करता है की इसे आप सुबह करे या शाम में करे।
इसमें केवल गौर करने की बात यह है कि आपका पेट भरा और भारी नहीं होना चाहिए। यानि कपालभाति करने से पहले ३ घंटे तक कुछ न खाएं।
(Benefits of Kapalbhati Pranayama) कपालभाति प्राणायाम
- कपालभाति प्राणायाम करने से मन और बुद्धि शुद्ध रहती है। यह मानसिक तनाव को कम करने में भी भूमिका निभता है।
मोटापा घटाने या वेट घटाने के लिए यह रामबाण इलाज है यदि आप अपना मोटापा घटाना चाहते हैं और आप कई उपाय कर चुके हैं तो कृपया करके कपालभाति प्रणाम करके देखिए यह निश्चित तोर पर वजन घटाने में आपकी मदद करेगा।
कपालभाति प्राणायाम चयापचय प्रक्रिया (मेटाबॉलिज्म) को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह पेट और आंतो की समस्या को दूर करता है। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि यह पाचन तंत्र को मजबूत रखता है।
कपालभाती प्राणायाम को हर रोज करने से रक्त का प्रभाव ठीक से होता है और शरीर के सभी अंग अच्छे से काम करते हैं।
कपालभाति करने से चेहरे पर चमक आती है डार्क स्पॉट (काले धब्बे) दूर होते हैं और त्वचा में निखार आता है।
कपालभाती मधुमेह (Sugur) को कंट्रोल करने में मदद करता है।
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कपालभाति प्राणायाम करने की सही विधि (method of Kapalbhati)
बहुत से लोगों को कपालभाती प्राणायाम करने का सही तरीका नहीं मालूम है अगर वे इसके तरीके को अच्छे से करने लग जाएंगे तो वह इसका अधिक फायदा उठा सकते है।
कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले किसी खुले वातावरण में मेट या चटाई बिछाकर बैठ जाये। यदि आप घर पर हो तो छत पर कपालभाती प्राणायाम करे।
सर और पीठ को सीधा रखते हुए सामने देखें ,घुटनो को मोड़कर हाथो को घुटने पर रखे। आँखे बंद करते हुए सांसो पर ध्यान केंद्रित करे।
नाक के दोनों छिद्रो से साँस को बहार निकालते हुए पेट को अंदर की तरफ सिकोड़े (shrink) | साँस छोड़ते समय अनावश्यक जोर न लगाए।
यह ध्यान रखा जाये की साँस लेते और छोड़ते समय सिर्फ और सिर्फ पेट की मांसपेशियां हरकत में आये।
शुरुआती दिनों में इसे २ से ३ मिनट तक लगातर करे। जैसे-जैसे आप इसे अच्छे से करने लग जाये तो ५ मिनट करे , ध्यान रखे की इसे ५ मिनट करते हुए ३ बार करे।
अगर आप इसे वीडियो के माध्यम से सीखना चाहते है तो बाबा रामदेव द्वारा इसे सिख सकते है।
कपालभाति करते हुए सावधानी बरतें (Be careful while doing Kapalbhati)
- कपालभाति प्राणायाम करते समय अनावश्यक जोर न लगाएं। साँस को लेते और छोड़ते समय धीमी गति का पालन करे।
जो महिलाएं गर्भावस्था में हैं उन्हें कपालभाति प्राणायाम बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के लिए कुछ व्यायाम होते है जिन्हे महिलाएं गर्भावस्था में कर सकती है।
महिलाओं को Periods के समय भी कपालभाति प्राणायाम नहीं करना चाहिए। कपालभाति करने से उन्हें इसके फायदे कम नुकसान ज्यादा भुगतने पढ़ सकते है।
कपालभाति करते समय किसी भी अंग, रीढ़ की हड्डी या गर्दन में किसी प्रकार की कठिनाइयां एवं दर्द महसूस होने पर इसे छोड़ दे।
ऐसा होने पर आप किसी योग चिकित्सक से अपना इलाज करवाएं और उसकी सलाह में ही कपालभाति प्राणायाम करें।
- कपालभाति प्राणायाम करने के तुरंत बाद न नहाये। इसे करने के लगभग एक या डेढ़ घटने बाद स्नान करे।