Gyan Mudra in Hindi
नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी। आज हम आपके लिए एक ऐसा आसन लेकर आए हैं जिसकी मदद से आप स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
जी हाँ !
Gyan Mudra के द्वारा कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती है। यह आसन एकाग्रता के साथ बुद्धि को तेज करने में भी सहायक है। यह महिलाओं को सुंदर बनाने, तनाव को दूर करने और पाचन तंतुओं को मजबूत बनाने में भी सहायक है।
यह मुद्रा हाथो से संबंधित मुद्रा होती है जिसे हस्त मुद्रा कहते है। यह मुद्रा अंगूठे और तर्जनी उंगली (index finger) के साथ एक स्थिति होती है जो बुद्धिमत्ता के विकास और ज्ञान को दर्शाती है। यह मुद्रा मानव को गहन ध्यान की अवस्था में ले जाती है।
तो यही कारण है कि इस मुद्रा को हस्त मुद्रा, ध्यान मुद्रा और शिरोमणि मुद्रा भी कहा जाता है।
Table of Contents
Toggleज्ञान मुद्रा क्या है (What is Gyan Mudra in Hindi)
ज्ञान का संबंध बुद्धिमत्ता से किया जाता है। क्योंकि संस्कृत भाषा में ज्ञान का अर्थ होता हैं बुद्धिमत्ता। ज्ञान मुद्रा का निरंतर और नियमित अभ्यास से बुद्धि के साथ तन और मन का विकास होता है। इसीलिए इसे अंग्रेजी भाषा में (Mudra of Knowledge) भी कहा जाता हैं।
ज्योतिष के अनुसार, हमारा अंगूठा मंगल का प्रतीक और तर्जनी उंगली (Index finger) बृहस्पति का प्रतीक होता है। जब ये दोनों तत्व संयोजित होते हैं, तो वायु तत्व में वृद्धि होती है,
तो यही कारण है कि योगासन या योगिग मुद्राओ का अभ्यास से बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है। योगासन और प्राणायाम करने से तन और मन का विकास होता है और साथ ही योगासन या योगिग मुद्राओ के अभ्यास से बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है।
ज्ञान मुद्रा की करने की विधि (Gyan Mudra Karne ki vidhi)
ज्ञान मुद्रा करने की विधि बहुत आसान और सरल है। इस मुद्रा के अभ्यास से बुद्धि तेज होती है जो सर्वोच्च ज्ञान को बढ़ाती है। योगासन और प्राणायाम का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए, इस स्थिति को बनाकर किया जाता है।
तो आइये जानते है ज्ञान मुद्रा करने का सही तरीका (Gyan Mudra karne ka shi Trika)
इस मुद्रा का अभ्यास करने के लिए, पहले एक साफ और स्वच्छ स्थान चुनें और बैठने के लिए योग या चटाई का उपयोग करें।
फिर ज्ञान मुद्रा को करते समय व्रजासन, सुखासन या पद्मासन जैसी स्थिति को बनायें।
आप इस मुद्रा का अभ्यास ताड़ासन जैसी स्थिति या कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं, लेकिन इसका उतना लाभ नहीं मिलेगा जितना कि आपको व्रजासन, सुखासन या पद्मासन स्थिति में मिलेगा।
अब अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें और अपनी हथेलियों को आकाश की ओर रखें।
अब तर्जनी उंगली (index finger) को गोलाकार मोडकर अंगूठे के अग्रभाग को स्पर्श करना हैं जैसा की ऊपर इमेज में दर्शाया गया है। यह ध्यान रखें की बाकी उंगलियों को सीधा रखें और दोनों हाथो से ज्ञान मुद्रा का अभ्यास करें।
अब आंखें बंद करकर सांस को नियंत्रित करें। धीरे-धीरे साँस छोड़ें और धीरे-धीरे साँस लें।
आप चाहे तो ॐ का उच्चारण भी कर सकते हैं। जो मन की शुद्धती के लिए काफी अच्छा है।
और पढ़ें :- योनि मुद्रा करने की विधि, लाभ और सावधानियां।
ज्ञान मुद्रा करने का सही समय (Gyan Mudra karne ka shi samay)
इस मुद्रा को आप 15 मिनट से लेकर अधिकतम 45 मिनट तक कर सकते है। यह मुद्रा किसी भी समय की जा सकती है। चाहे आप इसे चलते–फिरते, सोते–जागते, उठते–बैठते कभी भी कर सकते है। लेकिन सुबह और शाम के वक्त यह ज्यादा फायदेमंद रहता है।
अगर आप इस मुद्रा को तीनो समय करते है तो यह आपके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। क्योंकि जितना इस मुद्रा का अभ्यास किया जाता है उतना की इसके फायदे मिलते है।
ज्ञान मुद्रा करने के लाभ (Gyan Mudra Benefits in Hindi)
ज्ञान मुद्रा करने से बुद्धि का विकास होता है और एकाग्रता (concentration) में भी वृद्धि होती है। यह मुद्रा स्मृति और मानसिक स्थिति में सुधार लाता है।
यह देखा जाता है कि हम अपने मस्तिष्क के केवल 10 प्रतिशत का उपयोग करते हैं।लेकिन ज्ञान मुद्रा के द्वारा इसकी संपूर्ण शक्तियों का उपयोग किया जा सकता है। यह मुद्रा ज्ञान तंतुओं को कार्यात्मक रूप से लाती है जो मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाने में प्रभावी है।
यह मुद्रा कम बुद्धि वाले बच्चों की बुद्धि शक्ति को तेजी से विकसित करता है और तीव्रता के साथ स्मरण शक्ति में भी सुधार लाता है।
गुस्सा, चिड़चिड़ापन, बेचैनी जैसे रोगो में Gyan Mudra लाभकारी है। यह मुद्रा शांतिदायक दवा का काम करती है।
तीनो समय इस मुद्रा का अभ्यास करने से तनाव में कमी, हाई ब्लड प्रेशर, सिरदर्द , शुगर की इत्यादि बीमारियों में लाभ होता है।
इस मुद्रा के निरंतर और नियमित अभ्यास से तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव पड़ता है जो शरीर और मस्तिष्क के समन्वय के लिए अच्छा है, जो मन में नकारात्मक विचारों और गलत धारणाओं को दूर करता है।
यह मुद्रा सिरदर्द और माइग्रेन के प्रभाव में फायदेमंद है। इस मुद्रा को दिन में तीन बार करने से माइग्रेन और सिरदर्द जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
ज्ञान तंत्र के विकास के लिए यह मुद्रा बहुत महत्वपूर्ण है। ज्ञान मुद्रा का निरंतर और नियमित अभ्यास मानव ज्ञान प्रणाली को बढ़ाता है।
ज्ञान मुद्रा के फायदे २ -
यह मुद्रा छठी इंद्री के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह जानने की क्षमता प्रदान करता है कि दूसरों के दिमाग में क्या है यानि दूसरों की मन की बातों को जान सकने की क्षमता प्रदान करता है।
ह्रदय रोग, त्वचा रोग, चेहरे के दाग , झाइयाँ इत्यादि समस्याओ को दूर करने में सहायक है। यह महिलाओं को सुंदर बनाने, तनाव को दूर करने और पाचन तंतुओं को मजबूत बनाने में भी सहायक है।
Nervous system को मजबूत बनाने से लेकर बुरी आदतों को छुड़ाने तक सब में यह मुद्रा लाभकारी है। Gyan Mudra के अभ्यास से सुख शान्ति का अनुभव होता है और निरोगी शरीर बनता है।
यह मुद्रा रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाता है और साथ ही नशे की बुरी आदत, बुद्धि और याददाश्त की वृद्धि, आत्मविशवस में बढ़ोतरी तथा मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा है।
ज्ञान मुद्रा करते समय बरतें ये सावधानियां (Precaution For Gyan Mudra in Hindi)
- किसी भी प्रकार के योगासन या प्राणायाम करते समय पेट को खाली रखें। चाहे वह ज्ञान मुद्रा हो या योनि मुद्रा या कोई भी आसन।
- योगासन या ज्ञान मुद्रा करने के तुरंत बाद भोजन न करें।
- किसी भी प्रकार का दर्द एवं कठनाइयां महसूस होने पर मुद्रा को वही छोड़ दें।
- अगर आपको ज्ञान मुद्रा करते समय गर्दन में दर्द या हाथों में दर्द महसूस करते हैं, तो मुद्रा न करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
Gyan Mudra बहुत ही आसान और सरल मुद्रा है। यह मुद्रा करने में किसी प्रकार की कठनाईया एवं दर्द महसूस नहीं होता है। बल्कि, यह हाथो से की जाने वाली मुद्रा होती है। जिसे हस्तमुद्रा भी कहते है।
इसके निरंतर और नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक कई लाभ उठाये जा सकते है, बस शर्त यही है कि इसे सही तरिके और सही पोजीशन के साथ किया जाएँ।
अगर आपको हमारा लिखा हुआ आर्टिकल पसदं आया तो हमे Comment के जरिये जरूर बताएं।